महाकुंभ: संगम की रेत में मंदिर और महल जैसे शिविर बनकर तैयार, कहीं मनभावन मंदिर तो कहीं हवा महल
- महाकुंभ के लिए साधु-संतों, अखाड़ों के शिविर तैयार हो गए हैं। संगम की रेत में मंदिर और महल के नजारे देखने को मिल रहे हैं। किसी ने मनभावन मंदिर और दुर्ग बनाया है तो किसी ने हवा महल ही खड़ा कर दिया है।
13 जनवरी से शुरू होने जा रहे दुनिया के सबसे बड़े मेले को लेकर उत्साह चरम पर है। संगम की रेती का रुख करते ही चारों ओर महाकुम्भ की दिव्यता और भव्यता का अहसास होने लगता है। सेक्टर एक परेड मैदान से आगे बढ़ने पर बांध मिलेगा, जिसे पार करने के बाद जगदगुरु, पीठाधीश्वर, आचार्य, महामंडलेश्वर, संत और नागाओं की दुनिया बसी है। रात में दूधिया रोशनी से नहाया मेला क्षेत्र ऐसा लग रहा है मानों आकाशगंगा के सारे तारे एकसाथ धरती पर उतर आए हों। संतों के भव्य शिविर स्वप्नलोक में पहुंचने का अहसास करा रहे हैं। महज तीन सप्ताह के लिए लाखों-करोड़ों रुपये से बने भव्य शिविरों पर प्रस्तुत है यह रिपोर्ट:
भगवा रंग के मंदिर की तरह दिखता है अवधेशानंद का शिविर
मेला क्षेत्र में घूमते वक्त जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के शिविर पर सबकी निगाह ठहर जाती है। 25 सेक्टर में बसे मेला में इनका शिविर सेक्टर 18 में अन्नपूर्णा मार्ग पर है। भगवा रंग से सजा शिविर देख लगता है जैसे रातों-रात रेत में कोई मंदिर खड़ा कर दिया गया है। सामने लगी आदि शंकराचार्य की मूर्ति शुद्ध तांबे से बनी लगती है। प्रवेश करते ही बांसुरी की मद्धम मधुर धुन आध्यात्म की दुनिया में पहुंचा देती है। प्रभु प्रेमी संघ के इस शिविर में अस्पताल, कैंटीन, प्रवचन हाल समेत अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
कैलाशानंद का शिविर केदारनाथ मंदिर जैसा
सेक्टर नौ गंगेश्वर मार्ग से सलोरी की तरफ बढ़ेंगे तो केदारनाथ मंदिर की तरह बना भव्य शिविर दिखाई देगा। यह है श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का शिविर। मुख्य द्वार पर नक्काशीदार गुंबद को देख सहज यकीन नहीं होता कि इसे थर्माकोल से बनाया गया है। अंदर यज्ञशाला, शीशमहल और एक मंदिर भी बना है। शीशमहल का गुंबद और इसकी खिड़कियां कांच से बनाई गई हैं।
किले की तरह श्रीगुरू कार्ष्णि के शिविर का गेट
सलोरी सेक्टर नौ में श्रीगुरू कार्ष्णि का शिविर निर्माणधीन है इसलिए अंदर प्रवेश पर रोक है पर प्राचीन किले की तरह बना इसका विशाल गेट देख इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। श्री रमणरेती धाम मथुरा का शिविर हर कुम्भ में आकर्षक का केंद्र रहता है। अंदर भव्य पंडाल और खूबसूरत मंदिर के साथ ही श्रीकृष्ण की लीलाओं की झांकियां भी तैयार की जा रही हैं।
कुम्भ कलश और त्रिशूल से सजा शिविर
सेक्टर नौ स्थित कैलाशानंद गिरि के शिविर के सामने ही दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का शिविर बन रहा है। मुख्य द्वार को कुम्भ कलश और त्रिशूल से इस तरह से सजाया गया है कि उधर से गुजरते वक्त हर कोई रूककर इसे जरूर देखता है। यहां होने वाले कार्यक्रमों में हर बार हजारों की भीड़ उमड़ती है।
काठिया नगर खालसा ने खड़ा कर दिया हवा महल
सेक्टर 16 में अखिल भारतीय काठिया नगर डाकोर धाम खालसा का शिविर हवामहल की तरह बना है। यहां प्रवेश करते ही भजन-कीर्तन मन को पवित्र कर देते हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए भंडारा शुरू हो चुका है।
प्रभु श्रीराम की प्रतिमा खींच रही ध्यान
सेक्टर 19 में श्री नर्मदा तट नाम से बन रहे शिविर के मुख्य द्वार पर प्रभु श्रीराम की प्रतिमा लोगों का ध्यान खींच रही है। गेट को थर्माकोल की डिजाइन से बड़ी खूबसूरती से सजाया गया है।