महाकुंभ में संतों संग तीन साल के बाल संन्यासी, माता-पिता ने गुरु सेवा के लिए किया दान
- महाकुंभ में संतों के साथ चल रहे तीन साल के बाल संन्यासी की साधना देखने लायक है। बालक चार माह का था जब माता-पिता ने उसे गुरु की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। हरियाणा से आए जूना अखाड़े के बाबा संतपुरी इसे अपनी संतान की तरह ही स्नेह देते हैं।
महाकुम्भ में घूमते हुए गुरुवार की सुबह हम पहुंचे जूना अखाड़े में महंत बाबा संतपुरी के शिविर। चार संतों के बीच गेरूआ वस्त्र धारण किए तीन साल के एक बच्चे को देख हम ठिठके, कौतुकवश संतों से पूछा तो पता चला ये बाल संन्यासी हैं। नाम है सरवन पुरी। बातचीत चल ही रही थी कि गुरु संतपुरी ने उसे बुलाकर अपनी गोद में बैठा लिया। अपने गले में पड़ी माला को हाथ में लेकर उसने तुतलाती आवाज में ओम नम: शिवाय का जाप शुरु कर दिया। गुरु ने आदेश किया तो दंडबैठकी भी लगाई, उसका उत्साह बढ़ाने के लिए बाकी संत बोल रहे थे, श्री गुरु दत्तात्रेय महाराज की जय।
महंत बाबा संतपुरी अपने शिष्यों के साथ हरियाणा के फतेहाबाद से आए हैं। वह 1995 में हुए अर्द्धकुम्भ से ही यहां आ रहे हैं। शिविर में रहने वाले फतेहाबाद के बलवीर ने बाल संन्यासी के बारे में बताया कि फतेहाबाद के एक दंपति ने मन्नत मांगी थी कि वे अपनी पहली संतान को गुरु की सेवा और सनातन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित करेंगे। 2021 में बच्चा जब चार माह का था तभी दंपति ने उसे गुरु को दान कर दिया था तब से वह संत के साथ है।
सरवन पुरी नाम भी गुरु ने दिया। गुरु और बाकी संत उसकी देखभाल करते हैं। संतों के सानिध्य में गंगा स्नान करने के साथ ही वह शिविर के अन्य धार्मिक आयोजनों में भी शामिल होता है। गुरु संतपुरी बताते हैं कि सरवन हर रोज पंद्रह से बीस दंड लगाता है, उसे देख हम सभी श्री गुरु दत्तात्रेय महाराज की जयकार करते हैं। निजी स्कूल में उसका दाखिला करवाया गया है।