महाकुंभ में आने को घर से भागीं अम्मा, बेटे से छिपकर निकलीं, 1945 से नहाई हैं चारों कुंभ
- बुजुर्ग तारादेवी की आस्था के आगे उनकी उम्र की समस्याएं भी हार गईं। तारादेवी के घर वालों ने रोका तो वो घर से भागकर महाकुंभ पहुंच गईं। उन्होंने पांच साल की उम्र से कुंभ में नहाना शुरू किया।
महाकुंभ में एक दिन में लाखों की भीड़ जमा होती है। अब तक 10 करोड़ के आस-पास लोगों ने संगम में डुबकी लगा ली है। प्रयागराज में देश-दुनिया से भक्तों का तांता लगा हुआ है। कोई पहली बार कुंभ नहा रहा है तो किसी ने अब तक कई कुंभ देख लिए हैं। इनमें से एक हैं धनबाद की तारादेवी। बुजुर्ग तारादेवी की आस्था के आगे उनकी उम्र की समस्याएं भी हार गईं। तारादेवी के घर वालों ने रोका तो वो घर से भागकर महाकुंभ पहुंच गईं। उन्होंने पांच साल की उम्र से कुंभ में नहाना शुरू किया और इस बार महाकुंभ में भी एक महीने रहने के लिए वो घर से निकल गईं।
लगभग 85 साल की उम्र में तारादेवी का शरीर भी उनकी आस्था का साथ दे रहा है और बिना किसी लाठी या परिवार के सहारे अम्मा महाकुंभ पहुंच गई हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पांच साल की उम्र में वो पिता के साथ कुंभ नहाने गईं थीं और वहां भगदड़ मच गई थी। उनके पिता जी ने उन्हें गोद में उठाया और उन्हें नहीं छोड़ा जिससे वो बच गईं। अब वो बताती हैं कि उनका बेटा उनकी उम्र के कारण बाहर अकेले जाने पर नाराजगी दिखाता है। ऐसे में वो बेटे के काम पर जाते ही घर से बिना बताए निकल गईं।
उन्होंने घर से भागने की बात पर कहा कि वो केवल पोती को बताकर आई हैं। धनबाद से उन्होंने ट्रेन पकड़ीं और प्रयागराज आ गईं। उनके पास कोई फोन भी नहीं है। उन्होंने अपने बेटे के बार में बताया कि वो फोन करेंगी तो बेटा रोएगा लेकिन घर पहुंचने पर उनके हाथ-पैर दबाएगा सेवा करेगा। उन्होंने कहा कि वो अब तक नासिक, उज्जैन, हरिद्वार और प्रयागराज के कुंभ नहा चुकी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वो वृंदावन, कुंभ या कथाओं में भी इसी तरह बेटे को बिना बताएं छिपकर निकल आती हैं।