यूपी में चाइनीज वायरस की इंट्री! लखनऊ में 60 साल की महिला में मिला HMPV जैसे लक्षण
लखनऊ से चाइनीज वायरस HMPV का मामला सामने आया है। दरअसल एचएमपीवी संक्रमण के संदेह में एक महिला को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि महिला के नमूने को जांच के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी भेजा गया है।
यूपी की राजधानी लखनऊ से चाइनीज वायरस HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) का मामला सामने आया है। दरअसल एचएमपीवी संक्रमण के संदेह में एक महिला को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि महिला के नमूने को जांच के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) भेजा गया है। महिला को पहले से ही टीबी, किडनी, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं, जिससे स्थिति जटिल हो सकती है। डॉ. प्रकाश ने कहा कि रिपोर्ट आने से पहले संक्रमण की पुष्टि नहीं की जा सकती। निदेशक के अनुसार, एचएमपीवी संक्रमण की पुष्टि के लिए 48 से 72 घंटे का समय लग सकता है।
मोतीनगर क्षेत्र के नेहरूनगर हनुमान मंदिर के पास रहने वाली वृद्धा को खांसी, बुखार की समस्या 22 नवंबर को हुई थी। परिजन पहले वृद्धा को स्थानीय डॉक्टरों को दिखाकर दवा करते रहे, लेकिन लंबे समय से बुखार, खांसी बने रहने पर जनवरी में कानपुर रोड स्थित अपोलो अस्पताल में दिखाया। यहां से उन्हें किसी अन्य अस्पताल ले जोन की सलाह दी गई। सात जनवरी को चरक डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराई तो रिपोर्ट के आधार पर एचएमपीवी संक्रमित बताया गया। बुधवार रात को परिजन मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। डॉक्टरों ने पूरा मामला समझा तो तुरंत रात में ही वार्ड नंबर 11 में एकांत में शिफ्ट कर दिया।
जांच के लिए केजीएमयू भेजा नमूना
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि महिला की एचएमपीवी जांच के लिए नमूना केजीएमयू भेजा गया है। 48 से 72 घंटे में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि बिना जांच रिपोर्ट के महिला में संक्रमण की पुष्टि नहीं की जा सकती है। वरिष्ठ डॉ. एके गुप्ता की देखरेख में वृद्धा का इलाज चल रहा है। डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि महिला को टीबी, किडनी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर समेत कई बीमारी भी है। परिवार की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।
सीएमओ को नहीं भेजी रिपोर्ट
नोडल अफसर व डिप्टी सीएमओ डॉ. निशांत निर्वाण ने बताया कि दोनों अस्पतालों की ओर से पूर्व में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। पूछने पर अस्पतालों के प्रबंधन ने बताया कि मामला संदेहास्पद था। इसलिए परिजन खुद ही मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल चले गए थे। रिपोर्ट भी बाद में आई थी।