यूपी में पुरानी पेंशन लागू होगी या नहीं, विधानपरिषद में उठे सवाल का योगी सरकार ने दिया ये जवाब
उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू करने के मुद्दे पर विधान परिषद में सोमवार को प्रश्न प्रहर के दौरान जमकर हंगामा हुआ। सपा ने इस मुद्दे को उठाते हुए तत्काल पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की।
Old Pension Scheme: उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू करने के मुद्दे पर विधान परिषद में सोमवार को प्रश्न प्रहर के दौरान जमकर हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाते हुए तत्काल पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की। जवाब में सरकार की तरफ से वित्त राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह ने साफ कहा कि अब इसे लागू करना सम्भव नहीं है तो विरोध में सपा के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके तत्काल बाद सपा ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
सपा के डा. मान सिंह यादव ने वित्त मंत्री से सवाल किया कि क्या पुरानी पेंशन लागू कराएंगे। जवाब में वित्त राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह ने कहा कि पहली अप्रैल 2004 से नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई है। यह राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली सरकार के राजकोषीय स्थिति में संतुलन बनाए रखने और सरकारी कर्मचारियों व संगठित-असंगठित क्षेत्र के कार्मिकों व सामान्य जन को वृद्धावस्था में सुरक्षा देने के उद्देश्य से लाई गई है। उन्होंने कहा कि बीते 31 जनवरी तक 5.95 लाख सरकारी कर्मचारियों ने तथा स्वायत्तशासी संस्थाओं के 3.50 लाख कर्मचारियों का एनपीएस में पंजीकरण किया है।
इस पर डा. मान सिंह यादव ने कहा कि जब राजस्थान , हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब जैसे राज्य इसे फिर से लागू करने का निर्णय कर सकते हैं तो यूपी क्यों नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के पैसे को यूटीआई, बिरला सन लाइफ, एचडीएफसी व स्टेट बैंक में पेंशन के पैसे जमा किया जा रहा है, जिसका लाभ पूंजीपति उठा रहे हैं। शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार अपनी पूर्व की गलतियों को सुधारे। सरकार के पास अधिकार है।
उन्होंने संबंधित मामले में सरकार से सहानुभूति पूर्वक विचार करने की अपील की। सपा के लाल बहादुर यादव ने भी कहा कि जब न्यायपालिका और विधायिका में पुरानी पेंशन लागू है तो सरकार कर्मचारी और शिक्षकों के लिए क्यों नहीं। इसके जवाब में वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को समाप्त कर पुरानी पेंशन को लागू किया जाना संभव नहीं है।