Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Why did BSP performance deteriorate Mayawati will find reason for defeat civic elections meeting called on 18 may

क्यों खराब हुई बसपा की परफॉर्मेंस? निकाय चुनाव में हार की वजह तलाशेंगी मायावती, 18 को बुलाई मीटिंग

बसपा का वर्ष 2017 की अपेक्षा इस बार निकाय चुनाव में खराब परफॉर्मेंस रहा है। पिछले चुनाव में बसपा को मेयर की दो सीटों पर जीत मिली थी। इस बार मेयर की उसे कोई भी सीट नहीं मिली है।

विशेष संवाददाता लखनऊMon, 15 May 2023 08:02 PM
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बसपा सुप्रीमो मायावती निकाय चुनाव में मिली हार की वजह जानने के लिए पार्टी पदाधिकारियों के साथ 18 मई को अहम बैठक करने जा रही हैं। इसमें मंडल प्रभारियों, जिलाध्यक्षों के साथ वामसेफ के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। यह बैठक कई मामलों में अहम मानी जा रही है। मायावती इसमें लोकसभा चुनाव के लिए नई रणनीति पर मंथन भी कर सकती हैं।

बसपा का वर्ष 2017 की अपेक्षा इस बार निकाय चुनाव में खराब परफॉर्मेंस रहा है। पिछले चुनाव में बसपा को मेयर की दो सीटों पर जीत मिली थी। इस बार मेयर की उसे कोई भी सीट नहीं मिली, बल्कि जीत का प्रतिशत भी कम हो गया है। नगर निगमों में मात्र 85 पार्षद चुने गए। यहां वोट प्रतिशत 5.99 फीसदी रहा। नगर पालिका परिषद के 16 अध्यक्ष चुने गए, वोट प्रतिशत 8.04 रहा। पालिका में कुल 191 सदस्य चुने गए यहां वोट प्रतिशत 3.59 रहा। नगर पंचायत में 37 अध्यक्ष और 215 सदस्य चुने गए। इनका वोट प्रतिशत क्रमश: 6.08 और तीन रहा।

बसपा के लिए यह चिंता की बात है। पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि विधानसभा के बाद निकाय चुनाव में वोट प्रतिशत गिरना और उम्मीद से कम उम्मीदवारों का जीतना भविष्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। मायावती ने चुनाव परिणाम आने के बाद पहले कुछ मंडल के पदाधिकारियों से मिलकर अलग-अलग रिपोर्ट ली और इसकी वजहें पूछी। इसी आधार पर वह सामूहिक रूप से बैठक कर वस्तु स्थिति जानना चाहती हैं और पार्टी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श करना चाहती हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके आधार पर वह लोकसभा चुनाव के लिए नए सिरे रणनीति तैयार करेंगी।

मुस्लिमों को 70% भागीदारी न आई काम

बसपा सुप्रीमो ने निकाय चुनाव में 70 फीसदी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। लोकसभा चुनाव के पहले उनका यह प्रयोग था। उनका मानना था कि मुस्लमान उनका साथ दे देंगे तो इसी फार्मूले को आगे भी आजमाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी से जुड़े एक नेता का कहना है कि असफलता को देखते हुए मुस्लिमों की भागीदारी कम करने पर भी विचार हो सकता है। इसके साथ ही कुछ नए फार्मूलों पर काम करने का निर्देश दिया जा सकता है।
 

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