लोकसभा चुनाव में जीरो से मायावती ने लिया सबक, मुसलमान को कम टिकट का कर दिया ऐलान
BSP Supremo Reaction: मायावती ने कहा है कि मुस्लिम समाज बसपा का खास अंग रहा है। लेकिन पिछले कई चुनावों और इस बार लोकसभा चुनाव में भी उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद बसपा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है।
Mayawati's first reaction on BSP performance in Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव-2024 के मंगलवार को आए नतीजों में शून्य पर पहुंच गई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने अब इस पर प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर बसपा के प्रदेश कार्यालय द्वारा दो पन्नों में जारी बयान में मायावती ने कहा है कि मुस्लिम समाज बसपा का खास अंग रहा है। लेकिन पिछले कई चुनावों और इस बार लोकसभा चुनाव में भी उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद बसपा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है। अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच-समझकर ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जाएगा। ताकि पार्टी को भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो।
लोकसभा चुनाव नतीजों पर अपने लंबे चौड़े बयान में मायावती ने पार्टी की हार की गहन समीक्षा करने और सुधार के लिए जरूरी कदम उठाने की भी बात कही है। मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव का जैसा भी नतीजा आया है यह लोगों के सामने है और अब देश के लोकतंत्र, संविधान और देशहित के बारे में उन्हें ही सोचना और फैसला करना है। यह जो चुनाव परिणाम आया है उसका आगे उन सबके जीवन र क्या असर पड़ने वाला है और उनका अपना भविष्य कितना शांत, समृद्ध और सुरक्षित रह पाएगा? उन्होंने कहा कि इस चुनाव में यूपी की ओर देश की निगाहें टिकी हुई थीं। यहां भी जो परिणाम आया है बीएसपी उसका गंभीरता से हर स्तर पर गहराई से सही विश्लेषण करेगी। पार्टी के मूवमेंट के हित में जो भी जरूरी होगा उसे लेकर ठोस कदम भी उठाएगी।
प्रचंड गर्मी में चुनाव कराना गलत
मायावती ने प्रचंड गर्मी में चुनाव कराए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बसपा चुनाव आयोग से शुरू से यह मांग करती रही है कि चुनाव बहुत लंबा नहीं खिंचना चाहिए। यह चुनाव सात चरणों में करीब ढाई महीने लंबा रहा। चुनाव कराते समय आम लोगों के हितों के साथ-साथ चुनाव ड्यूटी में लगने वाले लाखों सरकारी कर्मचारियों ओर सुरक्षाकर्मियों के व्यापक हित और सुरक्षा को भी ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए। अधिकतम तीन या चार चरणों में चुनाव कराया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा न करके यह चुनाव जोरदार गर्मी और तपिश के बीच कराया गया। जनजीवन के अस्त-व्यस्त होने के कारण चुनाव काफी ज्यादा प्रभावित रहा और गरीब-मेहनतकश लोगों के उत्साह में कमी आ गई। इससे वोट प्रतिशत काफी प्रभावित हुआ। उन्होंने मांग की कि आगे से चुनाव आयोग लोगों की ऐसी परेशानियों को ध्यान में रखकर ही चुनाव कराए।
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