श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, एक साथ सुनवाई के खिलाफ अर्जी खारिज
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद के मामलों की सुनवाई एकसाथ करने के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज कर दी है।
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर विचाराधीन 15 दीवानी मुकदमों की एकसाथ सुनवाई करने के आदेश वापसी की मांग में दाखिल उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की अर्जी खारिज कर दी है। साथ ही विचाराधीन दीवानी मुकदमों की एकसाथ सुनवाई के अपने गत 11 जनवरी के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मुकदमों में वाद विंदु बनाने सहित अन्य विचाराधीन अर्जियों की सुनवाई के लिए छह नवंबर की तारीख लगाई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने बुधवार दोपहर बाद खुली अदालत में दिया। जस्टिस जैन ने अपने आदेश में कहा कि सीपीसी के आदेश चार ए के तहत न्यायालय को समान प्रकृति के वादों को एकसाथ समेकित कर सुनवाई करने की शक्ति प्राप्त है। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने 15 मुकदमों को समेकित कर सुनवाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश देने के लिए किसी पक्षकार की सहमति या अनुमति लेने का प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि वादों को समेकित कर सुनवाई करने के आदेश पर विपक्षी की आपत्ति का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है।
अधिवक्ता नसीरूज्जमा ने कहा था कि वादों को समेकित कर सुनवाई पर कोई आपत्ति नहीं है। बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता ने भी वादों को समेकित कर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। उस समय तीन अन्य वाद 3/23,10/23 व 17/23 भी लंबित थे। उन्हें समेकित नहीं किया गया है। केवल 15 मुकदमों को ही मूल वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव के साथ समेकित कर सुनवाई का आदेश दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि तथ्यों, वाद का कारण व अनुतोष के अनुसार वादों को समेकित करने से अदालत व पक्षकारों का समय बचेगा। साथ ही आदेश व अंतिम निर्णय में विसंगति की संभावना से बचा जा सकेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वादों को समेकित करने से पक्षकारों के अधिकारों एवं दायित्वों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही किसी प्रकार की हानि होती है। वादों के निस्तारण में सुविधा सिद्धांत को देखते हुए पक्षकारों के हित व न्याय हित में आदेश किया गया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वादों को समेकित कर सुनने से न्यायालय के बहुमूल्य समय की बचत होगी, पक्षकारों को अपव्यय से बचाया जा सकेगा और वादों का सुगम संचालन एवं उनका त्वरित निस्तारण सुनिश्चित होगा। साथ ही समय -समय पर होने वाले आदेशों व अंतिम निर्णय में पारस्परिक विसंगतियों से बचा जा सकेगा एवं निर्णय की सुचिता अक्षुण्ण रहेगी। कोर्ट ने विवाद से जुड़े मुकदमों को समेकित करने आदेश को विखंडित करने से इनकार करते हुए मुकदमों की सुनवाई के लिए 6 नवंबर की तारीख लगाई है।