जिन्हें PAK से प्यार था, बंटवारे में चले गए; हम इस देश के नौकर नहीं, मालिक हैं: वक्फ बिल पर संभल सांसद
संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुसलमान इस देश के दुश्मन नहीं हैं, बल्कि तरक्की और विकास चाहते हैं। जब देश का बंटवारा हुआ, तो जो लोग पाकिस्तान से प्यार करते थे, वे वहां चले गए, लेकिन जिन्हें हिंदुस्तान से प्यार था वे यहीं रहे।

संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने बुधवार को वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हम इस बिल का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह आम लोगों को गुमराह करने वाला है। उन्होंने कहा, "मुसलमान इस देश के दुश्मन नहीं हैं, बल्कि वे देश की तरक्की और विकास चाहते हैं। हमारे बुजुर्गों ने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान और माल की कुर्बानी दी थी। जब देश का बंटवारा हुआ, तो जिन्हें पाकिस्तान से प्यार था, वे वहां चले गए, लेकिन जिनका दिल हिंदुस्तान के लिए धड़कता था, वे यहीं रहे। हम इस देश के नौकर नहीं, बल्कि मालिक हैं, सभी मिलकर देश की तरक्की की बात करनी चाहिए।"
संभल सांसद ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए आगे कहा, " आप महिला सम्मान की बात करते हैं, पहले से ही बोर्ड के अंदर दो महिलाएं थीं। आपने कौन सा नया तीर मार दिया। ये बिल इतना खतरनाक है कि सारे समाज को तोड़ने का काम करता है। अगर बिहार और तमिलनाडु की आपकी सहयोगी दल आपका साथ दे रहे हैं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। मुसलमानों के हक की बात वे लोग कर रहे हैं, जिनके पास 240 सांसद होने के बावजूद एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है।"
जियाउर्रहमान बर्क ने आगे कहा, “सत्ता पक्ष के लोग मुसलमानों की तरक्की की बात कर रहे हैं। आपके मुंह से ये बात इसलिए अच्छी नहीं लग रही क्योंकि मुसलमानों यूपी हो या हिन्दुस्तान को कोई भी हिस्सा हो, उन्हें नमाज पढ़ने से दिक्कत है, अजान से दिक्कत है, मदरसों से दिक्कत है, मुसलमानों के कारोबार बंद कर रहे हैं, स्कॉलरशिप बंद कर रहे हैं और अब वक्फ बिल के जरिए मुसलमानों को हक दिलाने की बात कर रहे हैं। मेरा कहना है कि जिस देश के न्यायालयों में पहले से ही मुकदमों की कमी नहीं है वहां नया बिल लाकर नए विवादों को जन्म दिया जा रहा है।”
बर्क ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि दूसरे समुदाय के लोगों को वक्फ बोर्ड के अंदर रखने का क्या मतलब बनता है। क्या आप दूसरे मजहबी संस्थाओं के अंदर मुस्लिम समाज को रखने का काम करेंगे तो इस प्रकार नफरत की दीवार खड़ी मत करिए। इस देश की तरक्की के लिए सभी को मिलकर चलना पड़ेगा।