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यूपी में नदियां उफान पर, 11 जिलों में बाढ़ के हालात; CM योगी ने तत्‍काल मदद का दिया आदेश

  • बारिश के कारण यूपी की नदियां उफान पर हैं। नेपाल से छोड़े जा रहे पानी के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। रविवार को कन्नौज में बारिश के बीच कच्चा मकान ढहने से दो, सुलतानपुर में दीवार गिरने से एक और ऊंचाहार, सोनभद्र, गाजीपुर में आकाशीय बिजली एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानMon, 30 Sep 2024 08:00 AM
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Flood in UP: यूपी में मॉनसून की भले ही धमाकेदार इंट्री नहीं हुई पर विदाई के समय पूरे प्रदेश में झमाझम बारिश हो रही है। रविवार को भी पूरे प्रदेश खासकर पूर्वी जिलों में जोरदार बारिश हुई। बारिश के कारण राज्य की नदियां उफान पर हैं। नेपाल से छोड़े जा रहे पानी के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। रविवार को कन्नौज में बारिश के बीच कच्चा मकान ढहने से दो, सुलतानपुर में दीवार गिरने से एक और ऊंचाहार, सोनभद्र, गाजीपुर में आकाशीय बिजली एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है। 11 जिलों में बाढ़ के हालात हैं। सीएम योगी ने इन जिलों में राहत और बचाव के कामों की समीक्षा करते हुए प्रशासन को बाढ़ प्रभावित लोगों की तत्‍काल मदद का आदेश दिया है।

मौसम विभाग के मुताबिक 30 सितम्बर मानसून की रुखसती का समय होता है। इसके ठीक एक दिन पहले तक राज्य में 742 मिमी बारिश हो चुकी है। इस समय तक सामान्य बारिश 745 मिमी है। रविवार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में औसतन 6.3 मिलीमीटर और पूर्वी जिलों में 18.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। राप्ती, घाघरा, सरयू समेत कई नदियां फिर चढ़ने लगी हैं। नेपाल द्वारा 2.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से तराई क्षेत्र के लोग परेशान हैं। बलरामपुर में राप्ती खतरे के निशान पर है। गोण्डा में बारिश का सिलसिला जारी रहा।

योगी ने दिया तत्‍काल मदद का आदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश और पहाड़ों से छोड़े गये पानी से प्रदेश के 11 जिलों में बाढ़ के हालात की समीक्षा की। उन्होंने सभी 11 जिलों कुशीनगर, महाराजगंज, लखीमपुर खीरी, बलिया, फर्रुखाबाद, गोंडा, कानपुर नगर, जीबीनगर, सीतापुर, हरदोई और शाजहांपुर के अधिकारियों को पूरी तत्परता से राहत कार्य के निर्देश दिए। अधिकारियों को क्षेत्र में भ्रमण कर राहत कार्यों में नजर रखने के निर्देश दिए।

सिद्धार्थनगर से गोरखपुर तक नदियां उफनाईं

राज्य में मानसून की भले ही धमाकेदार इंट्री नहीं हुई पर विदाई के समय पूरे प्रदेश में झमाझम वर्षा हो रही है। रविवार को भी पूरे प्रदेश खासकर पूर्वी जिलों में जोरदार बारिश हुई। बारिश के कारण राज्य की नदियां उफान पर हैं। नेपाल से छोड़े जा रहे पानी के कारण सिद्धार्थनगर से गोरखपुर तक की नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। वहीं प्रदेश में मकान गिरने और आकाशीय बिजली गिरने से छह लोगों की मौत हो गई।

गोरखपुर में रोहिन नदी खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। वहीं इसकी वजह से राप्ती नदी के जलस्तर में भी उफान देखा जा रहा है। राप्ती नदी के बढ़या कोठा बांध पर नदी तेजी से कटान कर रही है। बांध कटा तो दर्जनों गांव जलमग्न हो जाएंगे। वहीं, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर जिलों में कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती, कूड़ा, घोंघर, तेलार नदियां कहर बरपा रही हैं। सड़क-रास्तों से लेकर घरों में पानी घुस गया है। नेपाल सीमा पर बना सरयू नहर का बांध शनिवार रात टूट जाने से सैकड़ों एकड़ धान की फसल जलमग्न हो गई। वहीं कन्नौज में रविवार को कच्चा मकान ढहने से दो, सुलतानपुर में एक और ऊंचाहार, सोनभद्र, गाजीपुर में आकाशीय बिजली से एक-एक की मौत हो गई है।

वाल्मीकि गंडक बैराज पर नदी का डिस्चार्ज घटा

कुशीनगर से लगे सीमावर्ती नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र में बारिश थमने के बाद वाल्मीकि गंडक बैराज पर नदी का डिस्चार्ज घटने लगा है। रविवार की सुबह डिस्चार्ज 5 लाख 62 हजार क्यूसेक से घटकर 4 लाख 28 हजार क्यूसेक हो गया। बावजूद इसके खड्डा रेता के गांवों में कमर तक पानी लगा है। इससे लोगों को मकानों की छतों व अन्य सुरक्षित स्थान पर रात जागकर गुजारनी पड़ी। हालांकि, तहसील प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को एक गांव से दूसरे गांव आने-जाने के लिए एक दर्जन नाव तथा उनके खाने-पीने के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था किया है। बाढ़ से बचाव के लिए एसडीआरएफ की टीम भी लगाई गई है।

पहाड़ों पर भारी बारिश होने के कारण नेपाल ने शनिवार को गंडक नदी में 5 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़ दिया था, जिससे नदी वाल्मीकि गंडक बैराज पर सीधे दबाव बनाने लगी। यह देख बैराज प्रशासन ने इसके सभी 36 फाटकों को ऊपर उठा दिया। नतीजतन गंडक नदी में बाढ़ आ गई। नदी का पानी खड्डा रेता क्षेत्र के शिवपुर, मरिचहवा, हरिहरपुर, नारायनपुर सहित अन्य कई गांवों में पहुंच गया। इन गांवों में कमर से ऊपर तक पानी लग गया। इसकी जानकारी होने पर एसडीआरएफ टीम के साथ मौके पर पहुंचे एसडीएम ऋषभ पुण्डीर, तहसीलदार महेश कुमार और इंस्पेक्टर अनिल सिंह आदि ने बाढ़ में फंसे दर्जनों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वहीं अन्य लोगों को बिना खाए-पीए मकान की छत, ऊंचे मचान या ऊंची जगह शरण लेना पड़ा।

रविवार की भोर में चार बजे नदी का डिस्चार्ज 5 लाख 62 हजार क्यूसेक से घटकर 5 लाख 43 हजार, पांच बजे 5 लाख 34 हजार, छह बजे 5 लाख 29 हजार, सात बजे 5 लाख 34 हजार, 8 बजे 5 लाख 15 हजार, 9 बजे 4 लाख 97 हजार, 10 बजे 4 लाख 70 हजार, 11 बजे 4 लाख 49 हजार और दोपहर 12 बजे 4 लाख 28 हजार क्यूसेक पर आ गया। यह देख रेता क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन गांव में कमर तक पानी लगा होने के चलते उनकी दुश्वारियां अभी कम नहीं हुई हैं। नदी खतरे के निशान 96 मीटर से 44 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।

महाराजगंज में दियारा के गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

लगातार हुई बारिश के चलते नारायणी गंडक नदी का जलस्तर शनिवार को सर्वाधिक रहा। इसके चलते महाराजगंज के निचलौल ब्लॉक के दियारा कहे जाने वाले सोहगीबरवा, शिकारपुर और भोथहा की अधिकांश आबादी में बाढ़ का पानी घुस गया है। हालत यह है कि बाबू टोला, सोहगीबरवा चौराहा, मटियरवा, मंदिर टोला, कटवासी और नौका टोला आदि आबादी वाले हिस्से में बाढ़ का पानी बह रहा है। निचलौल एसडीएम शैलेंद्र गौतम और सीओ अनुज कुमार सिंह ने इन गांवों में पूरी रात कैंप करके ग्रामीणों को ऊंचे स्थानों पर भिजवाया और ग्रामीणों के लिए बाढ़ शरणालय में भोजन व ठहरने की व्यवस्था कराई। ग्रामीणों ने अपने मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया। रविवार की सुबह भी इन आबादी वाले हिस्सों में पानी जमा हुआ है ग्रामीण पंपिंग सेट आदि लगाकर पानी को निकलवाने की कोशिश कर रहे हैं।

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