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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Relief regarding smart meters in UP there will be no burden on electricity customers

यूपी में स्मार्ट मीटर को लेकर आई राहत वाली खबर, ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा कोई बोझ

  • उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना की लागत के कारण बिजली दरें बढ़ने की जो आशंकाएं थी, वह समाप्त हो गई हैं। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले किसी भी खर्चे को बिजली दर, बिजली कंपनियों के एआरआर अथवा ट्रूअप में शामिल करने से इंकार कर दिया है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊ हिन्दुस्तानFri, 16 Aug 2024 04:17 PM
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उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना की लागत 27342 करोड़ रुपये का भार किसी भी रूप में बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकेंगी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले किसी भी खर्चे को बिजली दरों, बिजली कंपनियों के सलाना खर्चे अथवा ट्रूअप में शामिल करने से इंकार कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि इस खर्चे को किसी भी रूप में उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता है।

एआरआर में दिखाए गए घाटा से दरें बढ़ने की है आशंका

अब बिजली कंपनियों द्वारा आयोग में दाखिल 2024-25 के लिए अपने सालाना खर्चे (एआरआर) में जो घाटा दिखाया गया है, एकमात्र वही एक आधार है जो बिजली दरें बढ़ाये जाने का कारण बन सके। यहां बता दें कि बिजली कंपनियों की तरफ से सीधे तौर पर बिजली दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव आयोग को नहीं दिया गया है। बिजली कंपनियां अपने सालाना खर्चे में दिख रहे घाटे की भरपाई की मांग कर रही हैं। घाटे की भरपाई कैसे होगी यह नियामक आयोग पर ही छोड़ा है।

उपभोक्ता परिषद ने आयोग के अध्यक्ष के प्रति जताया आभार

शुक्रवार को प्रीपेड स्मार्ट मीटर की लागत से संबंधित नियामक आयोग का फैसला आने पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर उपभोक्ताओं की तरफ से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद लंबे समय से इसके लिए लड़ाई लड़ रहा था। आयोग का फैसला आने के बाद यह तय हो गया कि 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत की स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना को किसी भी रूप में बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। आयोग का कहना है कि बिजली कंपनियां कलेक्शन एफिशिएंसी और दक्षता के आधार पर इसकी भरपाई स्वयं करें।

भारत सरकार से 18885 करोड़ अनुमोदित टेंडर 27342 करोड़ का

स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के लिए भारत सरकार से अनुमोदित धनराशि 18885 करोड़ रुपये है, लेकिन बिजली कंपनियों ने जो टेंडर अवार्ड किया है, वह 27342 करोड़ रुपये का है। बिजली कंपनियां इतनी बड़ी धनराशि का इंतजाम कैसे होगा, इस पर नये सिरे से विचार करेंगी।

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