पीड़ितों पर टूटा पहाड़: संगम से जल ले जाना था, भाई की लाश ले जा रहे; बीवी के साथ आए थे, अकेले रह गए
- प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों का परिवार गहरे सदमे में हैं। कोई बीवी की लाश लेकर लौट रहा है तो कोई भाई का शव लेकर घर जा रही है।
प्रयागराज महाकुंभ की भगदड़ में जान गंवाने वालों के परिजन पोस्टमार्टम हाउस से शव लेकर अपने-अपने राज्य और शहर लौट रहे हैं। कुछ शव जिनकी शिनाख्त नहीं हुई है उनके परिवार का इंतजार है। महाकुंभ मेला प्रशासन और मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्टाफ और अफसर पोस्टमार्टम या बिना पोस्टमार्टम परिवार को सौंपे गए शवों की संख्या पर चुप्पी साधे हैं। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर वत्सला मिश्रा ने एचटी से कहा कि उन्हें इस पर बोलने की अथॉरिटी नहीं है। मृत लोगों की संख्या बताना प्रशासन का काम है। स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के प्रभारी डॉक्टर राजीव रंजन ने भी पोस्टमार्टम की संख्या बताने से मना कर दिया।
बिहार के चंपारण की रहने वाली सुशीला अपने भाई दिनेश के साथ महाकुंभ में गंगा नहाने आई थीं। सुशीला ने गुरुवार को अस्पताल में कहा- “फिर कभी संगम नहीं आऊंगी। ये सदमा कभी नहीं भूलूंगी। बुधवार की सुबह से सोई नहीं हूं। वापसी में गंगा जल घर ले जाना था। भैया का शव ले जा रहे हैं।” मुजफ्फरपुर की धर्मशीला देवी अपनी पड़ोसी शीला देवी के साथ महाकुंभ में आई थीं। धर्मशीला कहती हैं- “क्या जवाब देंगे शीला के परिवार को। हम दोनों आए थे पुण्य कमाने, मिट्टी लेकर जा रहे हैं इसकी।”
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यूपी पुलिस में काम करने वाले कृष्णानंद राय अपने बड़े भाई और यूपी पुलिस के ही सब इंस्पेक्टर अंजनि कुमार राय का शव लेने आए थे। शवगृह के बाहर राय के एक रिश्तेदार ने कहा कि संगम पर भीड़ को कंट्रोल करने में अंजनि कुमार राय के फेफड़े में काफी धूल चली गई थी। तबीयत खराब होने पर मेला अस्पताल में दवा लेने के बाद उन्हें ठीक लगा तो फिर ड्यूटी पर चले गए। लेकिन वहीं गिर गए। चंदौली जिले के धनेजा गांव के लक्ष्मण अपनी पत्नी के साथ महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर गंगा में स्नान करने आए थे। लक्ष्मण कहते हैं- “साथ आए थे। अकेले जा रहा हूं इसको लेकर।”