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बोले उरई: खत्म हो गई शान, बस रस्मों में रह गया पान

Orai News - उरई में पान का व्यापार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, जिसका मुख्य कारण गुटखे का बढ़ता चलन है। पान विक्रेता बताते हैं कि गुटखा सस्ता होने से लोग पान का सेवन कम कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, पान की दुकानें...

Newswrap हिन्दुस्तान, उरईWed, 19 Feb 2025 11:29 PM
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बोले उरई: खत्म हो गई शान, बस रस्मों में रह गया पान

उरई। पान अब सिर्फ रस्मों तक ही सीमित रह गया है। गुटखे के बढ़ते चलन से इसका रुआब कम हो गया है। एक समय पानदान घरों की शान होता था लेकिन अब एक-दो घरों में ही दिखाई पड़ता है। लागत की अपेक्षा पैदावर कम होने से पान की खेती करने वाले भी मुंह मोड़ रहे है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से पान दुकानदारों ने अपनी पीड़ा बताई। बोले-अब इसे बचाने की पहल की जाए। गुटखे के चलन ने पान कारोबार की कमर तोड़ दी है। अब पान सिर्फ रस्मों और रिवाजों तक ही सीमित रह गया है। कभी इसकी शान ही अलग थी और शौकीनों की भी कमी नहीं थी। यह बात कहते-कहते पान कारोबारी सुशील पुरानी यादों में खो जाते हैं और शायर बशीर बद्र का शेर सुनाते हैं कि सुना के कोई कहानी हमें सुलाती थी, दुआओं जैसी बड़े पान-दान की खुशबू। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से पान कारोबारियों ने अपनी समस्याओं पर खुल कर चर्चा की। कहा कि पान के स्वाद पर गुटखे की चाहत भारी पड़ रही है।

युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों में गुटखे के चलन से पान की बिक्री पर असर पड़ा है। पान की बिक्री दिन पर दिन कम होती जा रही हैं। जिससे पान व्यापारियों को महंगाई के दौर में घर का खर्च चलना भी मुश्किल हो रहा है। इसलिए अब पान के व्यापारी दूसरे व्यापार अपना रहे हैं। यह कहना था पान दुकानदार गोपी का जिनकी शहर के सबसे मुख्य आंबेडकर चौराहे पर चर्चित दुकान है। पान कारोबारी पुष्पेंद्र ने बताया कि जनपद में सबसे बड़ा पान का कारोबार उरई के कोंच बस स्टैंड के पीछे होता है और यहां ही पान की मंडी है। पहले उनके पिता महेंद्र चौरसिया इस कारोबार को करते थे पर वर्ष 2008 से वह खुद इस कारोबार को देख रहे हैं। शहर में तकरीबन 200 छोटी बड़ी दुकानें हैं और इस कारोबार से तकरीबन 5000 लोग जुड़े हुए हैं। मौजूदा समय में बंगाल से पान आता है। हफ्ते में दो बार गाड़ी से पान आता है। एक गाड़ी में तकरीबन पांच लाख का माल होता है। लेकिन काफी समय से बंगाल से आने वाले पान की आवक कम है, जबकि दाम ज्यादा हैं। पान कारोबारी आशीष ने बताया कि पान मंडी को जाने वाली सड़क बदहाल है और यहां गंदगी का अंबार रहता। मंडी आने जाने वाले व्यापारियों और दुकानदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है जबकि मंडी के पास रहने वाले नीलेश खरे ने बताया कि पान मंडी में तकरीबन 20 दुकानें हैं। सुबह से रात तक यहां व्यापारियों का आना-जाना रहता है पर यहां स्ट्रीट लाइट नहीं है और पानी की भी काफी समस्या है। इसके अलावा सरकार की तरफ से भी हमारी कोई मदद नहीं की जाती जिससे कारोबार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।

गुटखा से पान के व्यापार पर पड़ा 80 फीसदी प्रभाव

पान कारोबारी राजा ने बताया कि अब गुटखा की वजह से जो पान बेचने वाले व्यापारी हैं, उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। गुटखा की वजह से लोग पान खाना बंद कर चुके हैं। इसकी वजह से जिले में पान के कारोबार पर लगभग 80 फीसदी प्रभाव पड़ा है। शहर में पान की दुकानें भी कम हो गई हैं।

पूजा पाठ और शादियों तक ही सीमित रह गया है पान

पान विक्रेता अशोक ने बताया कि लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से अब पान का धंधा मंदा हो गया है। सिर्फ पूजा पाठ में ही लोग पान का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन पान बेचने वालों का मानना है कि जिस पान की जगह गुटखे ने ली है। एक दिन वही गुटखा आपकी जिंदगी को लील लेगा। पान भले ही महंगा हो गया है लेकिन इससे आपके स्वास्थ्य पर कम से कम बुरा असर तो नहीं पड़ेगा। कहा कि जिले में अवैध तरीके से गुटखे का व्यापार करने वालों पर कार्रवाई की जाए, साथ ही जिले में ही पान के भंडारण की व्यवस्था की जाए।

भंडारण की व्यवस्था न होने से पान के पत्ते होते खराब

पान के थोक विक्रेता आकाश बताते हैं कि जिले में कहीं पर पान के पत्तों के भंडारण की व्यवस्था नहीं है,इससे पान के पत्ते जल्द सड़ जाते हैं। पान के पत्तों में जिले में सबसे ज्यादा मीठा पान, बंगला पान,कपूरी पान बिकता है। जिसमें देशी पान महोबा से कपूरी पान आंध्रा से, बनारसी पान बनारस से और बंगला पान कोलकाता और ओडिशा से आता है। अधिक ठंड पड़ने से पाला भी पड़ने लगता है, जिससे पान के पत्ते को काफी नुकसान होता है। ऐसी स्थिती में पान के पत्ते की कीमत काफी बढ़ जाती है, जिससे ठेलों में पान की कीमत बढ़ जाती है।

गुटखा ने किया कब्जा पान की दुकानें हुईं कम

पान विक्रेता रहीस ने बताया कि शहर में अब पान की दुकानें सिर्फ नाम मात्र की रह गईं हैं। अब दुकानों में पान की जगह रंग-बिरंगी जर्दा पाउच की लड़ियों ने ले ली है। मार्केट ऐसा है कि हर तीसरे आदमी के मुंह में गुटखा आपको देखने को मिल जाएगा। पान की अपेक्षा गुटखा सस्ता पड़ता है। इसलिए लोग पान नहीं खाते हैं। वहीं पान महंगा पड़ता है। जिले में देशी पान महोबा से बनारसी पान बनारस से और बंगला पान कोलकाता से आता है, वहां से पान मंगाने में काफी खर्च आ जाता है, भंडारण की व्यवस्था न होने से पान के पत्ते सड़ने लगते हैं।

बोले- पान कारोबारी

गुटखे की वजह से पान कारोबार खत्म होने की कगार पर है सरकारी सहायता भी इस कारोबार को नहीं मिलती है।

- पुष्पेंद्र

गुटखे की वजह से पान की दुकानें बंद हो रही हैं और पान कारोबारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है।

- सुशील

युवा पीढ़ी पान की जगह गुटखे की शौकीन हैं और पुराने लोग अब रहे नहीं जो पान के शौकीन हुआ करते थे।

- विनोद

पान कारोबारी और दुकानदारों के लिए सरकार की तरफ से योजनाएं चलाई जाएं, जिससे हमारा कारोबार चल पड़े।

- नीलेश

पहले हफ्ते में सौ से ज्यादा पान की डलिया की खपत होती थी लेकिन अब पान की डलिया की खपत कम हो गई है।

- जमुना प्रसाद

पान कारोबार पर मौसम की मार पड़ती है जरा सी लापरवाही पर पत्ते सड़ने लगते हैं, नगर में भंडारण की व्यवस्था की जाए।

- इरफान

गुटखे की अपेक्षा पान हानिकारक नहीं है पर गुटखे ने पान का चलन खत्म कर दिया। जिससे नुकसान उठाना पड़ रहा है।

- मन्नालाल

पान के व्यापार से पहले परिवार का खर्च चलता था, लेकिन अब मुश्किल हो गया है। इसलिए दूसरे कामों की तलाश कर रहे हैं।

- गोपाल

गर्मियों में पान के पते फट जाते हैं। बारिश में फफूंदी और सर्दियों में पाला बड़ी समस्याएं हैं इसलिए भंडारण की व्यवस्था हो।

- महेश

पान के व्यवसाय में बिचौलिये सारा मुनाफा खा जा रहे हैं। पान मंडी में कई समस्याएं हैं जिनका समाधान किया जाए।

- राजू

अब पान कम बिकते हैं। गुटखा सस्ता होने से लोग ज्यादा मात्रा में खरीदते हैं। पान बेचने में लागत भी नहीं निकाल पा रही।

-अशोक

जिले में मीठा मसाला 25 रुपये, किमाम चटनी 15 और सादा पान 15 रुपये में बिक रहा है, जिससे पान की बिक्री कम हो गई है।

- आशीष

सुझाव

1. डलिये में रखे पान खराब होने पर कारोबारियों एवं दुकानदारों पर खाद्य विभाग कार्रवाई न करें। जिला प्रशासन को नियम बनाने चाहिए।

2. पान मंडी में कारोबारियों को सहूलियत दी जाए, जिससे कारोबार बढ़ेगा।

3. पान कारोबारियों के लिए योजनाएं बनाई जाएं, इससे व्यापार को रफ्तार मिले।

4. पान मंडी की सड़क का निर्माण कराया जाए।

5. पान भंडारण की व्यवस्था की जाए। ट्रांसपोर्ट से पान आने में जो समय लगता है, उसे कम करने का प्रयास किया जाए।

शिकायतें

1. पान कारोबारियों के लिए सरकार योजनाएं बनाए जिससे व्यवसाय रफ्तार पकड़ सके।

2. समय-समय पर मंडी में जागरूकता कैंप लगा योजनाओं की जानकारी दी जाए।

3. पान कारोबारियों और उनेक परिवार के बेहतर स्वास्थ्य के लिए साल में एक दो बार मेडिकल कैंप लगाए जाएं।

4. पान मंडी में गंदगी का अंबार है जिससे व्यापारियों-कारोबारियों को परेशानी होती है।

5. ट्रांसपोर्ट से पान की डलिया आने में पांच दिन का समय लगता है। भंडारण की व्यवस्था न होने से पत्ते सड़ जाते हैं।

बोले जिम्मेदार

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सुपारी और तंबाकू की अलग-अलग बिक्री की जाती है। अगर कहीं तंबाकू मिश्रित गुटखा की सूचना मिलती है तो समय-समय पर छापा मार कर कार्रवाई कर गुटखा फैक्ट्री को सीज किया जाता है। जिले में कहीं पर भी अवैध रूप से गुटखे की बिक्री नहीं करने दी जाएगी। जो भी अवैध रूप से गुटखे की बिक्री करता है तो कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ. जतिन कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा

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