बोले मिर्जापुर- बैरिकेडिंग से पेट पर चोट, संकट में रोजी-रोटी
Mirzapur News - विंध्याचल धाम के दुकानदारों का कहना है कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के बावजूद, बैरिकेडिंग और अन्य समस्याओं के कारण उनकी आजीविका संकट में है। गर्मी में पानी की कमी और सफाई की स्थिति खराब होने के कारण...
हम फूल-माला, नारियल, चुनरी-अगरबत्ती बेचते हैं, लेकिन अब गुजारा मुश्किल हो गया है। मंदिर के मार्गों पर श्रद्धालुओं के पैर जलते हैं, क्योंकि छाया का इंतजाम नहीं है। श्रद्धालुओं को ठंडे पानी के लिए भटकना पड़ता है। हमें कड़ी धूप में ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है। बैरिकेडिंग ने उनकी राह बदल दी है। स्वरोजगार योजना के लाभ भी दूर हैं-यह दर्द है विंध्य धाम के दुकानदारों का। उनका कहना है कि दूरदराज से लोग यहां अपनी मनौती पूरी करने आते हैं, लेकिन हमारी आजीविका संकट में है। मां विंध्यवासिनी धाम सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का भी आधार है, लेकिन यहां के दुकानदारों की तकलीफें श्रद्धालुओं के जयकारों में दब जाती हैं।
एक तरफ विंध्यधाम को विश्वस्तरीय स्वरूप देने के प्रयास हो रहे हैं, वहीं यहां के छोटे दुकानदार अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। पर्यटन और धर्म से जुड़ी इस स्थानीय अर्थव्यवस्था की नींव हिल रही है। बैरिकेडिंग, गंदगी-अतिक्रमण, प्रशासनिक उपेक्षा और विकास योजनाओं में स्थानीय व्यापारियों की अनदेखी अखरती है। विंध्याचल धाम की गलियों में भक्ति की गूंज जितनी तेज है, दुकानदारों की पीड़ा उतनी ही गहरी है। न्यू वीआईपी मार्ग पर गेट नंबर दो के पास दुकानदारों ने ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं पर चर्चा की। कृष्ण कुमार ने कहा कि धाम में रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र और विशेष पर्वों पर संख्या लाखों तक पहुंचती है। ऐसे में नारियल-चुनरी, माला-गमछा, खिलौनों, शृंगार प्रसाधन, गृहस्थी के सामानों की दुकानें भक्तों की जरूरतें पूरी करती हैं। अश्विनी शर्मा ने कहा कि यहां 1500 से अधिक दुकानें हैं। एक दुकान से औसतन पांच लोगों की आजीविका चलती है। लगभग 10,000 लोग प्रत्यक्ष रूप से इन दुकानों से जुड़े हैं। कहा कि हम श्रद्धालुओं के सहायक हैं। मां के दरबार में जो कुछ चढ़ता है, हम वही जुटाते हैं, लेकिन अब हमारे लिए रोजी रोटी का इंतजाम कठिन हो गया है। बैरिकेडिंग का दुकानदारी पर असर: राहुल यादव ने कहा कि मंदिर मार्ग पर सुरक्षा के नाम पर बैरिकेडिंग पूजन सामग्री विक्रेताओं के लिए परेशानी बन गई है। उसके चलते श्रद्धालु सीधे दुकानों तक नहीं पहुंच पाते। हमारी दुकान सामने है, लेकिन रास्ता बंद कर दिया गया है। ग्राहक दर्शन के बाद सीधे निकल जाते हैं। बैरिकेडिंग ने व्यापार को सीमित कर दिया है। कहा कि ऐसे गलियारे बनें जिससे श्रद्धालु दुकानों से होकर गुजर सकें। स्वच्छता सिर्फ दिखावे की: कृपाशंकर ने कहा कि धाम में डस्टबिन सिर्फ वीआईपी के आने पर लगाए जाते हैं। नगर पालिका न तो नियमित सफाई कराती है और न ही कोई निगरानी तंत्र सक्रिय है। सफाई की स्थिति खराब है। प्रदूषण और गंदगी धाम की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा रही है। दुकानदारों ने शिकायत की कि गलियों और मंदिर के चारों ओर कूड़ा-कचरा बिखरा रहता है। ठंडे पानी के लिए भटकते हैं: भीषण गर्मी में श्रद्धालु पानी के लिए परेशान रहते हैं। न पेयजल कियोस्क हैं, न ही पर्याप्त छांव। विंध्यधाम में अब तक प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गई है। श्रद्धालु पानी की तलाश में भटकते हैं। दुकानदारों के लिए भी यह बड़ी समस्या है। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि दुकानदार खुद पानी का इंतजाम करते हैं। जबकि प्रशासन और नगर पालिका को मंदिर मार्गों पर वाटर कूलर लगवाना चाहिए। इससे श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं होगी। गुलाबी पत्थर बदरंग हुए: मंदिर के मार्गों पर बिछाए गए गुलाबी पत्थरों की हालत बदतर हो चुकी है। पान-गुटखा थूकने वालों ने उनकी शोभा खराब कर दी है। यहां धूम्रपान मना है, लेकिन खुले आम बीड़ी-सिगरेट बिक रहे हैं। शुभम कुमार गुप्ता ने कहा कि पान- गुटखा खाने वाले गलियों और दीवारों पर गंदगी फैलाते हैं। इससे गुलाबी पत्थरों से बनी सुंदर फर्श दागदार हो रही है। प्रस्तुति: कमलेश्वर शरण/ गिरजा शंकर मिश्र सुझाव और शिकायतें 1. श्रद्धालुओं के आने-जाने के मार्ग ऐसे बनाए जाएं कि वे दुकानों से होकर गुजरें। बैरिकेडिंग को व्यापार के अनुकूल बनाया जाए। 2. नगर पालिका हर दुकान को डस्टबिन उपलब्ध कराए, प्रतिदिन सुबह-शाम सफाई हो। इसके लिए निगरानी दल गठित किया जाए। 3. मंदिर मार्ग और गलियों में वाटर कूलर लगाए जाएं। गर्मी से बचाव के लिए टेंट की व्यवस्था हो। पत्थरों पर मैट बिछाई जाए। 4. दुकानदारों की समस्याओं के समाधान के लिए निगरानी समिति बने। इसमें अफसरों संग व्यापारी प्रतिनिधि भी रहें। 5. मंदिर क्षेत्र को नो-वेहिकल जोन बनाएं। हर प्रमुख गली के प्रवेश बिंदु पर व्हीलचेयर, वॉलंटियर और रैंप की व्यवस्था हो। 1. मंदिर मार्ग पर बैरिकेडिंग श्रद्धालुओं को सीधे दुकानों तक पहुंचने से रोकती है। इससे व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। 2. गलियों और मंदिर के मार्गों पर नियमित सफाई नहीं होती। डस्टबिन वीआईपी आगमन पर लगाए जाते हैं, फिर हटा लिए जाते हैं। 3. श्रद्धालुओं-दुकानदारों के लिए पीने के पानी और गर्मी से राहत की व्यवस्था नहीं है। इससे भारी असुविधा होती है। 4. त्योहारों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। कई बार श्रद्धालुओं और दुकानदारों के पर्स, मोबाइल या सामान चोरी हो जाते हैं। 5. मंदिर के मुख्य द्वार तक वाहन खड़े होने से दुकानें छिप जाती हैं। श्रद्धालुओं की आवाजाही प्रभावित होती है। धाम मार्ग पर वाहनों का अतिक्रमण धर्मराज यादव ने ध्यान दिलाया कि मंदिर के मुख्य द्वार तक दोपहिया वाहन आराम से पहुंच जाते हैं और वहीं कतार में खड़े हो जाते हैं। इससे न केवल श्रद्धालुओं की आवाजाही बाधित होती है, बल्कि दुकानदारों की दुकानें भी पीछे हो जाती हैं। प्रशासन इस अतिक्रमण को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा पा रहा है। चार पहिया वाहनों को मंदिर के करीब तक लाया जा रहा है। इस पर रोक लग जाए तो श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी। गलियों में बिछाएं मैट: गर्मी के दिनों में विंध्यधाम की गलियों की जमीन इतनी तपती है कि श्रद्धालुओं के पैर जल जाते हैं। मंदिर के मार्गों पर छांव की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इन मार्गों पर मैट भी नहीं बिछाए गए हैं। धूप से पाथ-वे के पत्थर गर्म हो जाते है। नंगे पांव चलने को मजबूर श्रद्धालु दुकानों पर आकर पानी मांगते हैं या राहत भरी छांव ढूंढ़ते हैं। प्रशासन सभी मार्गों पर शेड लगवा रहा है, लेकिन काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। अभी कम से कम दो माह लग जाएंगे। बबलू मौर्या ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गलियों में मैट बिछाए जाएं और छांव की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। धाम क्षेत्र में रोज हो सफाई: दुकानदारों ने कहा कि हर दुकान पर नगर पालिका की ओर से डस्टबिन रखा जाए और नियमित सफाई हो। अभी केवल त्योहारों या वीआईपी आगमन के समय सफाई होती है। कृष्ण कुमार प्रजापति ने कहा कि भव्य-दिव्य धाम को स्वच्छ, सुंदर बनाना है तब रोज सफाई आवश्यक है। इसके लिए जागरूकता और निगरानी भी जरूरी है। दिव्यांगों के लिए ह्वील चेयर की व्यवस्था नहीं दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम की बातें की जाती हैं, लेकिन मंदिर के विभिन्न मार्गों पर व्हीलचेयर की सुविधा नहीं है। दिव्यांग श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचना कठिन होता है। उनके लिए प्रशासन ने गोल्फ कार्ट की व्यवस्था की है, लेकिन उसका उपयोग केवल नवरात्र में किया जाता है। हालांकि दिव्यांगों के लिए रैंप है पर वह मंदिर के मुख्य द्वार तक सीमित है। दुकानदार रिंकू सिंह ने कहा कि मुख्य गलियों की दुकानों पर व्हीलचेयर रखवा दिया जाए तो दिव्यांगों को काफी राहत मिलेगी।
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