मीठी बड़ी प्यारी हमारी जान है हिंदी
अंतरराष्ट्रीय संस्था हिन्दी साहित्य भारती द्वारा एक ऑनलाइन गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें विशुद्ध वर्तनी के पतन पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने हिंदी भाषा की शुद्धता और पूर्व शिक्षा पद्धति में कमियों पर विचार...
अंतरराष्ट्रीय संस्था हिन्दी साहित्य भारती के तत्वावधान में ऑनलाइन गोष्ठी हुई। गोष्ठी में विशुद्ध वर्तनी का हिंदी में होता हुआ पतन विषय पर हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने विचार रखें। झारखंड के साहित्यकार कामेश्वर कुमार कामेश ने सरस्वती वंदना कर अपनी एक रचना भी पढ़ी। गाजियाबाद से आए वक्ता सुरेन्द्र वत्स ने हिन्दी में विशुद्ध वर्तनी के महत्व को परिपूर्ण समझाया और पूर्व शिक्षा पद्धति में होती टंकण और इंगित होती कमियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। अच्छी हिन्दी नाम से फेस बुक पेज चलाने वाले वत्स सेवार्थ भाषा की शुद्धि के लिए समर्पित भाव से कार्यरत हैं। संस्था की अध्यक्ष आशा त्यागी ने सभी को बधाई दी और हिन्दी भाषा को समर्पित होकर कहा कि बड़ी मीठी बड़ी प्यारी हमारी जान है हिंदी, दुनिया के कोने कोने में हमारी पहचान है हिंदी। सुषमा सवेरा ने पढ़ा कि मां की बिंदिया है हिंदी, मां की भाषा है हिंदी। संचालन प्रतिभा त्रिपाठी ने किया। रामगोपाल भारतीय ने गीत सुनाया और कहा तुलसी और सूर के सागर में, सरिता के समान बही हिन्दी। महादेवी ,पंथ, निराला भूषण, सबकी शान रही हिन्दी। मुक्ता शर्मा पढ़ा कि ये वो भाषा है जो मुझको मेरी मां ने सिखाई है, ये वो भाषा है जो मुझसे मेरे बच्चों में आई है। गोष्ठी में शालिनी शर्मा, संगीता, सरोज दुबे, कवयित्री राजकुमारी ने अपने काव्यपाठ किया।
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