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पोखरा के दस स्कूलों में पढ़ाई जाएगी चीनी भाषा

नेपाल में चीन ने अपने वन रूट प्रोजेक्ट के तहत भगवान बुद्ध के नाम पर नेपाली जनता में पैठ बनाने में असफलता के बाद, पर्यटन को विकसित करने के लिए चीनी भाषा सिखाने पर जोर दिया है। पोखरा के दस सामुदायिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजWed, 11 Sep 2024 03:44 AM
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महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। नेपाल में अपने वन रूट प्रोजेक्ट भगवान बुद्ध के नाम पर नेपाली जनता के बीच पैठ न बना पाने के बाद ड्रेगन ने नई चाल चली है। अब पर्यटन को विकसित करने के बहाने नेपाल में चीनी भाषा सिखाने पर जोर दे रहा है। इसी क्रम में पोखरा महानगर पालिका के दस सामुदायिक स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई होने जा रही है। पोखरा के स्कूलों में मुफ्त में चीनी भाषा पढ़ाने के लिए चीनी दूतावास और पोखरा मेट्रोपॉलिटन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर भी हो चुका है।

इस समझौते के मुताबिक अंग्रेजी को माध्यम भाषा बनाकर पहले चरण में दस स्कूलों में एक साल के लिए अतिरिक्त चीनी भाषा की कक्षाएं संचालित की जाएंगी। चीनी भाषा सिखाने के लिए 10 चीनी स्वयंसेवी शिक्षक पोखरा पहुंच भी चुके हैं। समझौते के अनुसार पारदी माध्यमिक विद्यालय बिरुता, बाल मंदिर माध्यमिक विद्यालय नदीपुर, जनप्रकाश माध्यमिक विद्यालय भंडारधिक, चोरेपाटन माध्यमिक विद्यालय चोरेपाटन, लक्ष्मी आदर्श माध्यमिक विद्यालय सिसुवा, गौरीशंकर माध्यमिक विद्यालय हेमजा में निःशुल्क चीनी भाषा पढ़ाई जाएगी। पोखरा महानगर प्रशासन के अनुसार अतिरिक्त कक्षाओं के रूप में विष्णु पादुका माध्यमिक विद्यालय हेमजा, राष्ट्रीय माध्यमिक विद्यालय टुंडीखेल, लक्ष्मी माध्यमिक विद्यालय अघौम और जनप्रिया माध्यमिक विद्यालय, सिमलचौर में मुफ्त चीनी भाषा की कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

भाषाई ज्ञान बढ़ाने की कही जा रही बात

चीनी भाषा की पढ़ाई को लेकर कहा जा रहा है कि इससे छात्रों के भाषाई ज्ञान में मदद मिलेगी। महानगर प्रशासन का कहना है कि वैश्वीकरण के नवीनतम माहौल में यह माना जाता है कि भाषाई ज्ञान की पूर्णता अध्ययन, अवलोकन और सहित विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में व्यक्तिगत सशक्तिकरण में मदद करेगी। पर्यटन में विकास होगा।

चीन की यह चाल है

नेपाल भारत मैत्री केन्द्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल कहते हैं कि चीन की यह चाल है। नेपाल में भाषा ज्ञान के बहाने यह भारत के प्रति नकारात्मक भाव फैलाने की कोशिश हो सकती है। जबकि सोशल मीडिया, टीवी व अन्य माध्यमों से भारत-नेपाल के बीच हिन्दी भाषा मजबूत कड़ी है। यह भाषा एक-दूसरे को करीब लाती है।

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