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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखनऊLung Transplant Facility to be Established at KGMU for Serious Lung Disease Patients

केजीएमयू में फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा होगी

प्रदेश में फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए केजीएमयू में फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा जल्द शुरू होगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कार्यशाला में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊFri, 13 Sep 2024 01:12 PM
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फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ितों को प्रदेश में बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए जल्द ही फेफड़ा प्रत्यारोपण होगा। यह सुविधा केजीएमयू में शुरू की जाएगी। यह बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कही। वह शुक्रवार को केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की तरफ से सैप्सिस जागरूकता पर दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि अभी प्रदेश में फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हो रहा है। मरीजों की सहूलियतों के लिए केजीएमयू में फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए भारत सरकार से संपर्क स्थापित किया गया है। जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कार्यक्रम में कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा, नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह, पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।

बेवजह एंटीबायोटिक का इस्तेमाल घातक

डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि सैप्सिस से बचाव के लिए बेवजह एंटीबायोटिक दवा खाने से बचें। केवल डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक लें। गलत या अधिक एंटीबायोटिक लेने से खून में संक्रमण हो जाता है। जो सैप्सिस का कारण बन जाता है। सैप्सिस को सेप्टीसीमिया भी कहते हैं। इससे शरीर के अन्य अंग प्रभावित है। समय पर पहचान न होने से मरीज की मौत तक हो सकती है। खून की जांच कर सैप्सिस का पता लगाया जा सकता है।

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