Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Lathmar Holi in Nandgaon mathura crowd of devotees gathered to see it

नंदगांव में लट्ठमार होली: रंग-लाठियों के करारे वार से हुरियारे हुए पस्त, देखने के लिए श्रद्धालुओं की लगा रेला

मथुरा के नंदगांव में रविवार को हुई लट्ठमार होली देखने के लिए आस्था का रेला उमड़ पड़ा। आज बिरज में होरी रे रसिया के स्वरों के बीच यहां बरसाने के हुरियारों की नंदगांव की हुरियारिनों ने जमकर खबर ली। हुरियारिनों की लाठियों के प्रेम पगे वार हुरियारों ने हंसते-हंसते अपनी ढालों पर झेले।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान संवाद, मथुराSun, 9 March 2025 08:07 PM
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नंदगांव में लट्ठमार होली: रंग-लाठियों के करारे वार से हुरियारे हुए पस्त, देखने के लिए श्रद्धालुओं की लगा रेला

बरसाने की लट्ठमार होली के प्रतिरूप में रविवार को नंदगांव में हुई लट्ठमार होली देखने के लिए आस्था का रेला उमड़ पड़ा। आज बिरज में होरी रे रसिया के स्वरों के बीच यहां बरसाने के हुरियारों की नंदगांव की हुरियारिनों ने जमकर खबर ली। हुरियारिनों की लाठियों के प्रेम पगे वार हुरियारों ने हंसते-हंसते अपनी ढालों पर झेले। रसिया गायन पर नृत्य ने थमने का नाम ही नहीं लिया। अबीर-गुलाल में सब कुछ समा गया। टेसू के फूलों से बने रंग की बरसात ने बरसाना की गलियों को रंग-बिरंगा कर दिया।

नंदगांव में लट्ठमार होली का दीदार करने के लिए शनिवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। नंदगांव की ओर जाने वाले मार्गों पर श्रद्धालु से भरे वाहन थमने का नाम नहीं ले रहे थे। नंदगांव के रंगीली गली से लेकर चौक तक श्रद्धालुओं का अथाह समुद्र उमड़ रहा था। अबीर-गुलाल के बीच टेसू के फूलों की बरसात से श्रद्धालु सराबोर होकर कृष्ण-कन्हैया और राधारानी के जयकारे लगा रहे थे।

खासकर यशोदा कुंड, मेन बाजार, नंद बैठक, हाथरस वाला चौक के मकानों के छतें, मंदिरों की गालियां भीड़ से अटी हुई थीं। कस्बे में आयोजन स्थल का चप्पा-चप्पा भी भीड़ से अटा हुआ था। इधर, नंदगांव के यशोदा कुंड पर दोपहर से ही बरसाने के हुरियारे नाचते-कूदते पहुंचने शुरू गए थे। कुछ देर में यहां हुरियारों का तांता लग गया। नंदगांव वासियों ने यहां पहुंचे बरसाने के हुरियारों का केसर युक्त बादाम की ठंडाई से स्वागत किया। हुरियारों के स्वागत में नंदगांव की गालियों में गेंदा के फूल पत्तियां बिछाए गए थे।

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अबीर-गुलाल के साथ रंगों की बरसात

बरसाने से आए हुरियारों के हाथ में अबीर-गुलाल की पोटली और पिचकारियां भी थीं। सायं करीब चार बजे हुरियारों का टोल भंग की तरंग में परंपरागत गायन निकस अटा ते दरसन दै नंद दुलारे... गाते हुए नंदमहल की ओर बढ़ते हैं। हुरियारे झंडा लेकर नंदलाला का आशीर्वाद लेने मंदिर में प्रवेश कर गए। इसके साथ ही ढप-मृदंग झांझ-मजीरा की ध्वनि के साथ होरी के पद गूंजने लगे। अबीर-गुलाल और टेसू से फूलों बने रंग की बरसात शुरू हो गयी।

पद गायन के साथ ही एक दूसरे पर व्यंग्य कसे जाने लगे। हुरियारों का टोल नंदमहल पहुंच कर ठाकुरजी के दर्शन करता है। यहां हुरियारियों के पहुंचते ही उनके ऊपर प्राकृतिक रंगों की बरसात शुरू हो जाती है। हुरियारों पर रंग के साथ-साथ अबीर-गुलाल और फूलों की पंखुड़ियों की जमकर बरसात होती है। गायन शैली से सवाल-जवाब और हंसी-ठिठोली भी जमकर हुई। इसके बाद हुरियारे रंगीली गली होते हुए रंगीली चौक पहुंचे। यहां हुरियारिनों ने हुरियारों की लाठियों से जमकर खबर ली।

हुरियारिनों के लाठियों के वार को सहते रहे हुरियारे

एक-एक हुरियारे पर कई हुरियारिनें लाठियां लेकर प्रहार करने लगीं। हुरियारे लाठियों के वार को अपनी ढालों पर सहते रहे। वार सहते-सहते जब भी कोई हुरियारा थक जाता तो दूसरा हुरियारा ढाल लेकर लाठियों के नीचे आ जाता। उधर, हुरियारिनें भी कहां कम पड़ने वाली थीं। जैसे ही कोई हुरियारिन लाठियां चलाते-चलाते थक जाती, तो उसका स्थान दूसरा हुरियारिन ले लेती। करीब एक घंटे तक यह क्रम चला। लट्ठमार होली से पूर्व हुरियारों ने गली-गली घूमकर हुरियारों से जमकर हंसी ठिठोली की। ठिठोली से उकसी हुरियारिनों ने बरसाना के हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियों से प्रहार किया। हुरियारे मस्ती में कहते हैं कि तनक और दै भाभी, अभई मन नाय भरयौ। हंसी ठिठोली के बाद लट्ठमार समापन के दौरान हुरियारिनों के पैर छूकर क्षमा प्रार्थना की।

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मां यशोदा से ली होली खेलने की अनुमति

नंदगांव की लठमार होली में पहुंचने से पहले बरसाने के हुरियारे पहले कृष्ण भगवान के मंदिर में जाकर माथा टेकते हैं और फिर यशोदा कुंज पर पहुंच मां यशोदा से होली खेलने की अनुमति मांगते हैं। इधर, रसिया गायक गोस्वामी समाज होली की चौपाई निकालकर समारोह में चार चांद लगा देता है। यह दृश्य यहां द्वापर में हुई लट्ठमार होली की याद ताजा कर देता है।

नई दुल्हनों ने भी चलाई लाठी

नंदगांव की लट्ठमार होली में नवविवाहिताओं ने भी हुरियारिन बनकर भाग लिया। मैदान में उतरीं हुरियारिनों को बुजुर्ग और अनुभवी हुरियारिनों ने लाठियों के करारे वार करने की ट्रेनिंग दे रखी थी।

नंदगांव की गोपियों से लिया आशीर्वाद

नंदगांव की लट्ठमार होली में मान्यता है कि यहां गोपियां जिसके सिर पर लाठी का स्पर्श कर देती हैं, वह खुद को अत्यंत सौभाग्यशाली मानता है। लट्ठमार होली के दौरान श्रद्धालुओं में भी यह मान्यता दिखी।

एक घंटे तक समाज गायन पर जमकर नृत्य

यहां करीब एक घंटे तक समाज गायन पर हुरियारे जमकर नृत्य करते हैं। ढप, मृदंग, झांझ-मजीरा की ध्वनि के साथ होरी के पद गूंजते रहते हैं। करीब आधे घंटे बाद समाज गायन के थमते ही हुरियारों के कदम मंदिर से बाहर निकलने के लिए सीढ़ियों की ओर बढ़ते हैं। मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं का अथाह मानव समुद्र उमड़ पड़ता है। कोई अबीर-गुलाल तो कोई रंग की बरसात हुरियारों पर करते खुद को धन्य मानता है तो कोई मस्ती से हुरियारों के बीच ही झूमने लगता है। उधर, रंगीली गली और रंगील चौक में सजी-धजी हुरियारिनें घूंघट डाले हाथ में लाठी लिए हुरियारों के आने का बेसब्री से इंतजार करती हैं।

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