ऑपरेशन टाइगर ने थकाया, अब बफर जोन में तेंदुआ बना चुनौती
लखीमपुर के दक्षिण खीरी में 21 दिन से चल रहे ऑपरेशन टाइगर में कोई सफलता नहीं मिली है। वन विभाग बाघ की लोकेशन नहीं जान सका है। वहीं, धौरहरा रेंज में तेंदुआ नई चुनौती बन गया है। विभाग ने पिंजरे लगाए हैं...
लखीमपुर/धौरहरा। दक्षिण खीरी में चल रहे ऑपरेशन टाइगर में 21 दिन बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है। वन विभाग के एक्सपर्ट बाघ की लोकेशन ही नहीं जान सके हैं। उधर दुधवा बफर जोन के धौरहरा रेंज में अब तेंदुआ वन विभाग के लिए नई चुनौती बन गया है। वहां भी विभाग ने ऑपरेशन तेंदुआ शुरू किया है। विभाग पिंजरे लगाकर बैठा है और एक्सपर्ट की मदद मिलने का इंतजार कर रहा है। खीरी जिले में इस समय बाघ, तेंदुआ और सियार तीनों की दहशत है। बाघ ने अब तक एक माह के अंदर दक्षिण खीरी में तीन की जान ली है। तेंदुआ ने एक किशोर को मारा है। दक्षिण खीरी के महेशपुर में 11 सितम्बर को बाघ ने गांव मूड़ा अस्सी निवासी जाकिर को बाघ ने उस समय हमला करके मौत के घाट उतार दिया था। जब वह गन्ने की बंधाई करने के लिये गया था। दुधवा से डॉ. दया और कानपुर प्राणि उद्यान से डॉ. नीतेश कटियार आए हुए हैं। पांच दिन से एक्सपर्ट मूड़ा अस्सी में ट्रैकुलाइज करने के लिये योजना बना रहे है। लेकिन टीम को सफलता नहीं मिल पा रही है। आपरेशन में कैमरों, मचान एवं पगमार्को का निरीक्षण डीएफओ संजय विश्वाल ने भी किया। अभी वन विभाग ऑपरेशन टाइगर में ही थक रहा था। इस बीच अब धौरहरा में तेंदुआ चुनौती बन गया है। विभाग ने वहां पिंजरा लगा दिया है। दो कैमरे भी लगाए हैं। पर नतीजा कुछ नहीं है। एक्सपर्ट का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि तेंदुए ने किसी इंसान पर यहां हमला नहीं किया है।
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