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वो 1989 का कुंभ, जब चंद्रास्वामी को देवरहा बाबा ने दौड़ा लिया था; मंच पर देख हो गए थे नाराज

  • उस कुंभ में तांत्रिक चंद्रास्वामी ब्रिटिश अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर के साथ पहुंचे थे। उस समय तक वे बोफोर्स कांड में नाम आने के बाद देशभर में चर्चित हो चुके थे। मंच पर शंकराचार्यों के बगल में देवरहा बाबा बैठे हुए थे। जब उन्होंने चंद्रास्वामी को देखा तो नाराज हो गए। बोले- इसको किसने मंच पर बैठाया है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, महाकुंभ नगर, ध्रुव शंकर तिवारीMon, 3 Feb 2025 11:22 AM
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वो 1989 का कुंभ, जब चंद्रास्वामी को देवरहा बाबा ने दौड़ा लिया था; मंच पर देख हो गए थे नाराज

Maha Kumbh 2025: वो वर्ष 1989 का कुम्भ था जब मंच पर चंद्रास्‍वामी को देख प्रसिद्ध संत देवरहा बाबा इस कदर नाराज हुए कि उन्‍होंने उन्‍हें दौड़ा ही लिया। कुंभ के अलग-अलग रंगों को याद करते हुए लोग आज भी उस वाकये की चर्चा करते हैं। उस कुंभ में तांत्रिक चंद्रास्वामी ब्रिटिश अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर के साथ पहुंचे थे। उस समय तक वे बोफोर्स कांड में नाम आने के बाद देशभर में चर्चित हो चुके थे। मेला क्षेत्र में विश्व सनातन धर्म के शिविर में रुके थे जोकि पंजाब के साधुओं का शिविर था। चंद्रास्वामी एक दिन छात्रसंघ भवन गए तो वहां पर उनकी मुलाकात इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष अभय अवस्थी से हुई।

उन्होंने उपाध्यक्ष के सामने दो प्रस्ताव रखे, पहला कि युवा छात्र सम्मेलन का आयोजन कराया जाए और दूसरा की महामंडलेश्वर बनवाने के लिए किसी अखाड़े के महामंडलेश्वर से संपर्क कीजिए। अभय अवस्थी बताते हैं कि अमावस्या स्नान से पहले धर्म संसद का आयोजन हुआ, जिसमें चारों शंकराचार्य की उपस्थिति में राम मंदिर आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था। मंच के सामने चंद्रास्वामी बैठे हुए थे।

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उनकी एक महामंडलेश्वर से बात हुई थी, चंद्रास्वामी को महामंडलेश्वर बनाए जाने की घोषणा संसद के समापन पर होनी थी। मंच पर शंकराचार्यों के बगल में देवरहा बाबा बैठे हुए थे। जब उन्होंने चंद्रास्वामी को देखा तो आक्रोशित हो गए और बोले, इसको किसने मंच पर बैठाया है। फिर देवरहा बाबा ने लकड़ी की बकुली लेकर उन्हें दौड़ा लिया। मौके की नजाकत को देखते हुए दर्जनों छात्र चंद्रास्वामी को किसी तरह वहां से लेकर निकले।

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अभय का कहना है कि हम लोगों ने छात्रों को इसलिए बुलाया था कि संतों को लगे कि चंद्रास्वामी बड़े सिद्ध पुरुष हैं। बाद में अभय अवस्थी ने पूछा कि महामंडलेश्वर बनने की क्या जरूरत है, तब उन्होंने कहा कि यह उपाधि मिलने के बाद देश-विदेश में प्रोटोकॉल मिलता है।

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