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राम मंदिर आंदोलन पर सेमिनार में बोलेंगे जस्टिस शेखर यादव, VHP के आयोजन में भाषण पर छिड़ा था विवाद

  • जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव संसद में लाने का ऐलान विपक्ष ने किया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच शुरू की है। इस बीच अब वह 22 जनवरी को 'राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ' शीर्षक से आयोजित होने वाली सेमिनार में वक्ता के तौर पर शामिल होंगे।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, महाकुंभ नगरThu, 16 Jan 2025 01:24 PM
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव 22 जनवरी को राम मंदिर आंदोलन पर होने वाले एक आयोजन को संबोधित करेंगे। उन्होंने 8 दिसंबर को एक बयान दिया था कि देश की व्यवस्था बहुसंख्यकों के अनुसार ही चलेगी। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने 'कठमुल्ला' शब्द का इस्तेमाल किया था, जिस पर विवाद हुआ था। उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव संसद में लाने का ऐलान विपक्ष ने किया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच शुरू की है। इस बीच अब वह 22 जनवरी को 'राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ' शीर्षक से आयोजित होने वाली सेमिनार में वक्ता के तौर पर शामिल होंगे।

यह सेमिनार महाकुंभ मेला क्षेत्र में ही 22 तारीख को होना है। इसी तारीख को बीते साल अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। कार्यक्रम के संयोजक शशि प्रकाश सिंह का कहना है कि यह आयोजन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरा होने के मौके पर कराया जा रहा है। जस्टिस शेखर कुमार यादव के अलावा इस कार्य़क्रम को आरएसएस के सीनियर प्रचारक अशोक बेरी संबोधित करेंगे। इसके अलावा विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठा दिनेश कुमार भी रहेंगे। वह वीएचपी के महामंत्री हैं और लंबे समय तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं। जस्टिस शेखर यादव ने इस कार्य़क्रम में कहा था कि देश में बहुसंख्यकों के हिसाब से ही व्यवस्था चलेगी। हमारे परिवारों में भी ऐसा ही होता है कि जिस बात के लिए ज्यादा लोग कहते हैं, वही होता है।

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उनके इस बयान को लेकर विवाद छिड़ गया था। दरअसल वह आयोजन वीएचपी की लीगल सेल ने कराया था, जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड, सेकुलरिज्म जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी। वीएचपी के आयोजन में मौजूदा जज के पहुंचने और इस तरह के विवादित बयान को लेकर कपिल सिब्बल जैसे सीनियर वकील ने ऐतराज जताया था। इस मामले की खबरें जब मीडिया में छपीं तो उसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया था। इस मामले में कॉलेजियम भी एक बार जस्टिस शेखर यादव को तलब कर चुकी है। बता दें कि जस्टिस यादव के समर्थन में भी एक अर्जी अदालत में पहुंची थी। इसमें मांग की गई थी कि यादव के खिलाफ कार्रवाई न की जाए क्योंकि उनका बयान एक जज के तौर पर नहीं बल्कि हिंदू के रूप में था।

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