Ration Card Holders Face Issues E-KYC Problems and Misbehavior of Shopkeepers in Azamgarh जजज33, Jaunpur Hindi News - Hindustan
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Jaunpur News - आजमगढ़ में राशन कार्डधारकों को ई-केवाईसी प्रक्रिया में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अपात्र लोग भी राशन ले रहे हैं, जबकि पात्र गरीबों को कार्ड बनवाने में कठिनाई हो रही है। कोटेदारों का व्यवहार...

Newswrap हिन्दुस्तान, जौनपुरThu, 15 May 2025 05:34 PM
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बोले आजमगढ़ : चिह्नित किए जाएं अपात्र, कोटेदारों के व्यवहार में सुधार होना आवश्यक जिले में राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी कराई जा रही है। इसके बाद भी अब तक अपात्र लोगों के राशनकार्ड निरस्त नहीं हो सके हैं। पात्र कार्डधारकों का कहना है कि अब भी सैकड़ों लोग फर्जी ढंग से राशन उठा रहे हैं। वहीं, पात्र गरीबों को कार्ड बनवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ई-केवाईसी के नाम पर कई लोगों के नाम कार्ड से गायब हो जाते हैं। कोटेदारों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। वे ऑनलाइन औपचारिकता के नाम पर घंटों खड़ा कराते हैं। कई कोटेदार कम राशन देते हैं।

शहर के कर्बला मैदान में ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में कार्डधारकों ने राशन लेने में आ रही समस्याओं पर चर्चा की। भीम गोंड ने बताया कि कोटेदार की सूचना पर वह राशन लेने दुकान पर पहुंचते हैं। वहां राशन के लिए घंटों खड़े रहने की नौबत आ जाती है। कोई न कोई समस्या खड़ी रहती है। कई बार अंगूठा लगाने वाली ई-पॉस मशीन काम नहीं करती। बार-बार अंगूठा लगाने से दिक्कत होती है। अंगूठा दर्द करने लगता है। जब अंगूठे की पहचान नहीं हो पाती है तो आशंका होने लगती है कि कहीं नाम न कट गया हो। मशीन भी अजीब है। कुछ लोगों के अंगूठे को डिटेक्ट करने के बाद हमारा भी थंब इंप्रेशन पास हो जाता है। नाम कटने की जानकारी नहींः रमेश सैनी, प्रतीक सिंह ने बताया कि ई-केवाईसी के चक्कर में कई लोगों के नाम राशनकार्ड से कट गए हैं। ई-केवाईसी में जरूरी दस्तावेजों के साथ परिवार के सदस्यों के अंगूठे का निशान भी होना चाहिए। अगर बाहर काम पर रहने के कारण किसी व्यक्ति के अंगूठे का निशान नहीं दर्ज हो पाया उसका नाम राशनकार्ड से कट जाता है। वह व्यक्ति जब घर आता है तो अपना नाम चढ़वाने के लिए परेशान रहता है। विभाग कहता है कि जो यहां नहीं रहता तो उसका नाम दर्ज करने की क्या जरूरत है। संबंधित व्यक्त का कोई तर्क नहीं सुना जाता। सर्वर हैंग होने पर परेशानीः लाडले और सरिता सिंह ने बताया कि आए दिन सर्वर हैंग होने से मशीन काम नहीं करती है। कोटेदार कहते हैं कि सर्वर से मशीन चलेगी और पूरी औपचारिकता के बाद राशन मिल पाएगा। इस औपचारिकता को निभाने में बहुत देर होती है। राशन की दुकान पर लोगों की भीड़ जमा रहती है। सभी को अपने हिसाब से जल्दी रहती है। पहले राशन लेने की होड़ लग जाती है। उन्होंने कहा कि विभाग को कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी रखनी चाहिए। जुगाड़ से राशन, पात्र परेशानः विवेक पाठक ने बताया कि कई गरीब लोग फ्री राशन पाने के पात्र हैैं, मगर उनका कार्ड ही नहीं बन सका है। राशन कार्ड बनवाने के लिए वे भागदौड़ कर रहे हैं। विभाग से लेकर कोटेदार के यहां दौड़ते-दौड़ते चप्पलें घिस गई हैं। उनके परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं और मुखिया के पास कोई रोजगार नहीं है। कई लोग बीमारी और अन्य कारणों से अशक्त हैं। पहले किसी कारण से उनका राशनकार्ड नहीं बन पाया या नाम किसी कारण से कट गया। अब औपचारिकता पूरी करने के बाद भी राशनकार्ड नहीं बन पा रहा है। वहीं जो लोग पूरी तरह से अपात्र हैं, वे जुगाड़ से राशन ले रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। अचानक काट देते हैं नामः मेहताब अहमद ने बताया कि जरूरतमंदों को राशन देने और फर्जी लाभार्थियों पर लगाम लगाने के चक्कर में बहुत लोगों के नाम कार्ड से गायब हो चुके हैं। पूरी व्यवस्था ऑनलाइन बना दी गई है। कई लोगों के नाम बिना कारण बताए राशनकार्ड से गायब कर दिए गए हैं। यह बात समझ में आती है कि जिस परिवार को सरकारी राशन की अब जरूरत नहीं है, तो उसका कार्ड खत्म कर दिया जाए। लेकिन यह नहीं समझ में आता कि परिवार का राशनकार्ड चालू है, उस परिवार में सात सदस्य हैं, लेकिन अचानक दो सदस्यों के नाम कटने की जानकारी मिलती है। इसका कारण जानने के लिए पीड़ित परेशान होते हैं। आठ साल से बहू का नाम नहीं दर्ज करा सके : दिल मोहम्मद ने बताया कि उनके परिवार के नाम से पांच यूनिट का पात्र गृहस्थी राशनकार्ड है। राशनकार्ड में बेटी का नाम है। बेटी की शादी हो गई है। अब जांच के नाम पर विवाहिता पुत्री का नाम काटने की बात कही जा रही है। असली समस्या यह है कि मेरे पुत्र की शादी को आठ साल हो गए। बहू का नाम तभी से राशनकार्ड में शामिल कराने का प्रयास कर रहे हैं। कई लोगों से कह चुके हैं कि बेटी का नाम काटकर उसके स्थान पर बहू का नाम दर्ज हो जाए, लेकिन यह नहीं हो पा रहा है। देर होने पर राशन से वंचित होना पड़ता है : एखलाक अहमद ने बताया कि राशन बांटने की सूचना कभी भी आ जाती है। परिवार का मुखिया होने के कारण खुद ही राशन लेने कोटेदार के यहां जाना पड़ता है। दिक्कत यह होती है कि अगर दो या तीन दिन किसी कारण से नहीं जा पाए तो डर यह रहता है कि कहीं राशन न मिले। कई बार राशन के लिए अगर कोई नहीं पहुंच पाता है या देर से पहुंचता है तो उसे अगले महीने राशन देने की बात कही जाती है। कोटेदार की दबंगई के आगे कार्डधारकों की नहीं चलती : धर्मवीर ने बताया, राशन के बारे में कोई जानकारी लेने पर कोटेदार इतनी तेज आवाज में जवाब देते हैं कि दोबारा कुछ पूछने की हिम्मत नहीं होती। दुकान पर कई समस्याएं होती हैं। कभी मशीन काम नहीं करती तो कभी यूनिट के अनुसार राशन मिलने की समस्या रहती है। कोटेदार ठीक से बात नहीं करते। वे जो कहते हैं, उसे मानना पड़ता है। उनसे शिकायत नहीं कर पाते हैं। विभाग भी राशन कार्डधारकों की जगह कोटेदारों की ही सुनता है। कोटेदारों का अपना संगठन है और विभाग में अच्छी-खासी दखल है। एक का नाम दर्ज कर बनाया कार्ड : दिव्यांग अनवरी ने बताया कि उनके परिवार में पांच लोग हैं। राशन कार्ड में नाम दर्ज करवाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के जरूरी दस्तावेज जमा कराकर ई-केवाईसी की औपचारिकता पूरी की गई। लेकिन केवल हमारा नाम ही राशन कार्ड पर दर्ज हो सका। अन्य लोगों के नाम नहीं हैं। कोटेदार अपने वश में कुछ न होने और विभाग से संपर्क करने की बात कहता है। बोलीं, बैसाखी के सहारे बड़ी मुश्किल से एक यूनिट का राशन लेने कोटेदार की दुकान पर आना पड़ता है। परवेज ने बताया कि उनका 6 यूनिट का राशनकार्ड है। एक पुत्री का नाम राशन कार्ड में दर्ज नहीं हो पा रहा है। कोटेदार बताता है कि नेट पर उसका नाम नहीं चढ़ पा रहा है। समझ में नहीं आता कि जब परिवार के अन्य सदस्यों के नाम दर्ज हैं तो पुत्री का नाम क्यों नहीं दर्ज हो पा रहा है। कोट ई-पॉस मशीन पर अंगूठा लगाने पर कई बार वह काम नहीं करता है। कोटेदार दिक्कत नहीं बता पाते। भीम गोंड़ सर्वर हैंग होने पर राशन के चक्कर में बहुत देर तक खड़े रहने की नौबत आ जाती है। पूरी प्रक्रिया में बहुत परेशानी होती है। लाडले अपात्रों का राशन कार्ड बन गया है। जबकि कई गरीब पूरी तरह से पात्र होने के बाद भी वंचित हैं। जांच की जानी चाहिए। विवेक पाठक पहले रजिस्टर से नाम दर्ज कर राशन मिल जाता था। ऑनलाइन के चक्कर में परेशान हो जाते हैं। दिक्कत दूर होनी चाहिए। मेहताब अहमद बहू को आए आठ साल हो गए हैं। उसका नाम राशनकार्ड में नहीं दर्ज हो सका है। यह समस्या कई परिवारों के साथ है। दिल मोहम्मद किसी पारिवारिक कारण से दो या तीन दिन न पहुंचने पर राशन न मिलने का डर रहता है। परेशानी बढ़ जाती है। एखलाक अहमद कोटेदार कुछ पूछने पर घूरकर तेज आवाज में बात करते हैं। विभाग से जाकर पता लगाने को कहते हैं। धर्मवीर बेटी का नाम राशन कार्ड पर नहीं चढ़ पा रहा है। कई दिन से समस्या के हल के लिए दौड़ रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं है। परवेज ई केवाईसी के चक्कर में कई लोगों के नाम राशनकार्ड से कट चुके हैं। लोग दौड़ते रह जाते हैं। काम नहीं होता है। रमेश सैनी एक पैर से दिव्यांग हूं। परिवार में पांच लोग हैं, लेकिन केवल मेरा ही नाम राशन कार्ड में दर्ज हो पाया है। अनवरी दुकान पर बैठने की उचित व्यवस्था नहीं होने और भीड़ ज्यादा होने से घंटों खड़ा रहना पड़ता है। असुविधा होती है। सरिता सिंह पिताजी का नाम राशन कार्ड से काट दिया गया है। अब एक यूनिट का कम करके राशन दिया जा रहा है। प्रतीक सिंह बोले जिम्मेदार : पात्र लोगों के नाम राशनकार्ड में जोड़े जाएंगे। इसमें कोई दिक्कत होने पर लोग विभाग में संपर्क कर सकते हैं। अभियान चलाकर अपात्रों के राशनकार्ड निरस्त किए जा रहे हैं। जनपद के सभी कोटेदारों को राशन कार्डधारकों से समन्वय बनाने और उनसे मधुर व्यवहार करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। देवेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्रीय पूर्ति अधिकारी सुझाव राशन के पारदर्शी वितरण के लिए पूर्ति निरीक्षक जांच करें। कार्डधारकों से भी समस्याएं पूछनी चाहिए। भीषण गर्मी में पीने के लिए पानी की व्यवस्था राशन की दुकान पर होनी चाहिए। बुजुर्ग भी राशन लेने आते हैं। राशन कार्ड वाले परिवार में शादी के बाद बहू के आने पर तत्काल उसका नाम दर्ज कराया जाए। राशन कार्ड धारक का नाम काटने से पहले उसे जानकारी मिलनी चाहिए। इससे कार्डधारक समय रहते कुछ कर सकेंगे। राशन की दुकानों पर बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऑनलाइन औपचारिकता के चक्कर में दुकान पर घंटों खड़े रहना पड़ता है। शिकायतें ई-केवाईसी के नाम पर कार्डधारकों का नाम मनमाने तरीके से राशन कार्ड से काट दिया जाता है। इसके बाद बताने वाला नहीं होता है कि फिर कैसे दर्ज होगा। कई गरीब पात्र लोगों का राशन कार्ड लाख कोशिशों के बाद भी नहीं बन पा रहा है, जबकि अपात्र लोगों के परिवार के नाम से राशनकार्ड है। राशन की दुकान पर वितरण के दौरान एक यूनिट का राशन कोटेदार अपने पास ही रख लेते हैं। राशन की दुकानों पर कुछ जानकारी मांगने पर कोटेदार बुरा मानने लगते हैं। ऊंची आवाज में बात करते हैं। जब भी राशन लेने जाते हैं तो सर्वर की समस्या लगातार बनी रहती है। लोगों का समय बर्बाद होता है। प्रस्तुतिः रत्नप्रकाश त्रिपाठी/रामजीत चंदन

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