लेटरल एंट्री पर IAS अफसरों की भी राय है जुदा, बोले-सिस्टम को ठीक करना जरूरी
कई IAS अफसरों की राय लेटरल एंट्री को लेकर राय जुदा है। कुछ सही मान रहे हैं तो कुछ इसे उचित नहीं मान रहे। कुछ का मानना है कि बतौर सलाहकार नियुक्त कर उसका लाभ लिया जा सकता है।
Lateral entry: उत्तर प्रदेश ब्यूरोक्रेसी के कई आईएएस अफसरों की राय लेटरल एंट्री को लेकर राय जुदा है। कुछ सही मान रहे हैं तो कुछ इसे उचित नहीं मान रहे। कुछ का मानना है कि विशेषज्ञों को बतौर सलाहकार नियुक्त कर उसका लाभ लिया जा सकता है। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव और आईएएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आलोक रंजन कहते हैं कि सरकार को अगर रिजल्ट पाना है तो सिस्टम को ठीक करना चाहिए।
यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगा है। इसमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव पदों पर भर्ती की बात कही गई है। ये भर्तियां तीन साल के अनुबंध पर की जाएंगी और परफॉर्मेंस और जरूरत के हिसाब से इसे पांच साल तक के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। यूपीएससी इन पदों को सिर्फ साक्षात्कार के माध्यम से भरेगा।
यूपीएससी द्वारा उच्च पदों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती किए जाने पर बहस छिड़ी हुई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इसका खुले तौर पर विरोध किया है। यूपी कॉडर के कुछ आईएएस अफसरों से इस मुद्दे पर बातचीत की गई। नाम न छापने की शर्त पर एक आईएएस अधिकारी कहते हैं कि सरकार अपने हिसाब से भर्तियां कर सकती है। पूर्व की सरकारें तो सीधे विशेषज्ञों को आईएएस के पदों पर भर्ती करती रही हैं। इसका उदाहरण मायावती सरकार में रहे कैबिनेट सचिव शशांक शेखर को देखा जा सकता है। केंद्र सरकार तो सिर्फ तीन साल के लिए ही रख रही है।
वहीं, एक दूसरे आईएएस अफसर इसे उचित नहीं मानते हैं। कहते हैं कि आईएएस अफसर बनने के लिए तीन चरणों की परीक्षा पास करनी होती है और बहुत अनुभवों के बाद संयुक्त सचिव पद पर पहुंचते हैं। एक आईएएस अफसर कहते हैं कि यह कितना उचित है आने वाला समय बताएगा।
यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहते हैं कि लेटरल एंट्री विकल्प नहीं है। सरकार को अगर लगता है कि उचित रिजल्ट नहीं मिल पा रहा है तो सिस्टम को ठीक करना चाहिए। लेटरल एंट्री से भरे जाने वाले संयुक्त सचिव का वेतनमान 2.70 लाख रखा गया है, जबकि निजी कंपनियों में काम करने वाले विशेषज्ञ इससे कहीं ज्यादा वेतन पाते हैं। इससे यह तो तय है कि इस वेतनमान पर बहुत अनुभवी अधिकारी मिलना संभव नहीं हो पाएगा। आईएएस बनने के बाद नौकरी की शुरुआत एसडीएम पद से होती है। धीरे-धीरे वह उच्च पदों पर पहुंचता है। ऐसे में उनके पास तमाम अनुभव होते हैं। आज आईएएस निजी क्षेत्रों में जा रहे हैं। इसीलिए इसका कितना फायदा होगा इसको सही तौर पर नहीं कहा जा सकता।
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