Hindustan Special: बहुत कम पानी में तैयार हो जाते हैं ये पौधे, इनके फूलों से महकम रहे बरेली के घर-आंगन
- सर्दी के मौसम की शुरुआत होने के बाद घरों की बगिया भी रंगबिरंगे फूलों के पौधों से सजने लगी है। इन दिनों नर्सरी पर फूलों वाले पौधों की मांग अचानक से बढ़ गई है। लोग देशी से ज्यादा विदेशी पौधों को तरजीह दे रहे हैं।
Hindustan Special: सर्दी के मौसम की शुरुआत होने के बाद घरों की बगिया भी रंगबिरंगे फूलों के पौधों से सजने लगी है। इन दिनों नर्सरी पर फूलों वाले पौधों की मांग अचानक से बढ़ गई है। लोग देशी से ज्यादा विदेशी पौधों को तरजीह दे रहे हैं। मिनी बाईपास स्थित आधा दर्जन से अधिक नर्सरियों के साथ ही हार्टमैन, पीलीभीत बाईपास रोड और सिविल लाइंस की नर्सरियों में सर्दी के मौसम में फूलों वाले पौधों की भारी मांग है। सर्दी के मौसम में पेटुनिया, कैलेंडुला, डेफोडिल, गुलाब, मोगरा, सिलोंचिया आदि फूलों के पौधों की खूब बिक्री हो रही है। गेंदा और गुलाब की लाल, गुलाबी और पीले रंग के अलावा अनके प्रजातियां उपलब्ध हैं। नर्सरी संचालकों ने बताया कि इन सभी फूलों वाले पौधों को धूप की आवश्यकता होती है, इन्हें ऐसी जगह लगाएं जहां धूप आती हो। इससे पौधे में फूल ज्यादा संख्या में आते हैं और इनको अधिक पानी की जरूरत भी नहीं पड़ती।
प्रदूषण कम करने वाले पौधों की भी मांग
कोहरे में मिले प्रदूषण के कणों के कारण लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। प्रदूषण के कारण नेचुरल एयर प्यूरीफायर के रूप में लोग घरों में पौधे लगा रहे हैं। एरिका पाम, स्पाइडर प्लांट, सेंसीविरिया, बास्टन फर्म, इंग्लिश आईवी जैसे पौधे कार्बन डाई आक्साइड को सोखने का काम करते हैं। इनकी कीमत 150 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है। इन पौधों के साथ ही तुलसी, एलोवेरा, चमेली, मनी प्लांट जैसे पंरपरागत पौधों की भी खूब बिक्री हो रही है।
नेचुरल एयर प्यूरीफायर हैं यह पौधे
वनस्पति विज्ञानी डॉ. आलोक खरे कहते हैं कि घर का वातावरण अच्छा रखने के लिए शुद्ध आबोहवा की सबसे ज्यादा जरूरत है। आजकल घरों का आकार छोटा होता जा रहा है, इसलिए छोटे पौधे आसानी से लगाए जा सकते हैं। यह कैम प्लांट कहलाते हैं क्योंकि इनमें कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखने की ज्यादा क्षमता होती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह नेचुरल एयर प्यूरीफायर के रूप में काम करते हैं।