कम से कम तीन बच्चे पैदा करे हिंदू समाज, विहिप की बैठक में साधु-संतों ने उठाया मुद्दा
- महाकुंभ में आयोजित विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने हिंदुओं के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाली बदलती जनसंख्या पर चिंता जताई।
महाकुंभ में आयोजित विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने हिंदुओं के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाली बदलती जनसंख्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, हम दो हमारे दो भी फीके पड़ गए हैं। हिंदू समाज के लिए अब कम से कम दो से तीन बच्चे जरूरी हैं। ये विचार विश्व हिंदू परिषद के ओल्ड जीटी रोड सेक्टर 18 झूंसी स्थित शिविर में शुक्रवार को केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक रखे गए। बैठक में देश के प्रमुख संतों ने दुनियाभर के हिंदू समाज की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आवश्यकताओं, चुनौतियों और संकटों के संदर्भ में भी विचार किए।
संतों का मानना है कि हिंदू जनसंख्या में हो रहे असंतुलन का प्रमुख कारण हिंदू समाज की घटती जन्मदर है। हिंदू समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दायित्व के रूप में हर हिंदू परिवार में कम से कम तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए। मार्गदर्शक मंडल के संतों ने आह्वान किया है कि हिंदू समाज की जनसंख्या को संतुलित बनाए रखने के लिए जन्मदर को बढ़ाने की आवश्यकता है।
संतों ने साफ किया है 1984 की धर्म संसद से लेकर अयोध्या, मथुरा और काशी तीनों मंदिरों की प्राप्ति के लिए संत समाज, हिंदू समाज, विहिप तथा संघ संकल्पबद्ध था, है और भविष्य में भी रहेगा। वक्फ बोर्ड के निरंकुश व असीमित अधिकारों को नियंत्रित करने के लिए कानून सुधार अधिनियम लाने के केंद्र सरकार की पहल का केंद्रय मार्गदर्शक मंडल ने स्वागत किया। आह्वान किया कि यह कानून पारित होना चाहिए तथा सभी दलों के सांसदों को इसमें सहयोग करना चाहिए।
देशभर में हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का जागरण अभियान प्रारम्भ हुआ है। आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुई बड़ी सभा से इस अभियान का शंखनाद हो चुका है। संतों ने आग्रह किया है कि सभी मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाएं, सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले कानून हटाए जाएं और मंदिरों का प्रबंधन आस्था रखने वाले भक्तों को सौंपा जाए। भारत के उत्थान के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण की रक्षा, कुटुम्ब प्रबोधन से हिंदू संस्कारों का सिंचन तथा सामाजिक कुप्रथाओं का निर्मूलन, अपने स्व का आत्मबोध तथा अच्छे नागरिकों के कर्तव्य, ये राष्ट्रीय चारित्र्य के विकास के लिए आवश्यक है। मार्गदर्शक मंडल की बैठक में उठे बिन्दुओं पर 25 और 26 जनवरी को संत सम्मेलन में चर्चा होगी।
इन प्रमुख संतों ने दिया मार्गदर्शन
बैठक में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि, विशोकानन्द, विश्वात्मानन्द भारती और बालकानन्द गिरि, स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी राजेंद्र देवाचार्य, स्वामी कौशल्यानन्द गिरि, स्वामी अखिलेश्वरानन्द, स्वामी हरिहरानन्द, श्री महंत निर्मोही अखाड़ा राजेंद्र दास, महंत रविन्द्र पुरी, महामंडलेश्वर चूड़ामणि, विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा, संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद, महामंत्री आचार्य सभा परमात्मानंद, उदय सिंह, बालयोगी उमेश्नाथ, महामंडलेश्वर आत्मानंद, संग्राम सिंह, केवलानंद सरस्वती, भास्कर गिरि, बाबू सिंह आदि ने मार्गदर्शन दिया।