राम मंदिर आंदोलन पर सेमिनार में नहीं जाएंगे जस्टिस शेखर यादव, बोले- उनके नाम का इस्तेमाल हुआ
- पिछले साल विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने 22 जनवरी को 'राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ' पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।
पिछले साल विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने 22 जनवरी को 'राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ' पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसी ने उनका इस्तेमाल किया है। यह सेमिनार प्रयागराज के महाकुंभ मेले में सेक्टर 6 स्थित नेत्र कुंभ में आयोजित किया जाना है। कार्यक्रम समन्वयक शशि प्रकाश सिंह ने दावा किया कि जस्टिस यादव ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर हिस्सा लेने के लिए पहले सहमति दी थी। शशि प्रकाश सिंह ने कहा, गुरुवार दोपहर उन्मुहें सूचना मिली कि जस्टिस यादव ने सेमिनार में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। जस्टिस यादव ने सेमिनार में शामिल न होने का कोई खास कारण नहीं बताया है। उन्होंने बताया कि कई प्रयासों के बावजूद इस मुद्दे पर जस्टिस शेखर यादव से संपर्क नहीं हो सका।
बार एंड बेंच की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेखर यादव ने सोशल मीडिया पर चल रही खबरों का खंडन कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह राम मंदिर आंदोलन पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर हिस्सा नहीं लेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति यादव ने बार एंड बेंच को बताया कि पोस्टर/विज्ञापन जिसमें उनका नाम मुख्य वक्ता के रूप में दिखाया गया है, वह झूठा है और वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह फर्जी खबर है। मैं इसमें शामिल नहीं होऊंगा। यह फर्जी खबर है। क्षमा करें...किसी ने मेरा इस्तेमाल किया और कुछ विज्ञापन बनाए गए, जिनमें कहा गया कि मैं इस कार्यक्रम में शामिल हूं।
क्या है पूरा मामला
8 दिसंबर को उच्च न्यायालय परिसर में विहिप विधिक प्रकोष्ठ के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति यादव ने कथित तौर पर कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। अगले दिन, विवादास्पद मुद्दों पर न्यायाधीश के भाषण को लेकर विवाद छिड़ गया। जिस पर विपक्षी नेताओं सहित कई हलकों से कड़ी प्रतिक्रियाएँ मिलीं थीं, जिन्होंने उनके कथित बयान पर सवाल उठाए और इसे घृणास्पद भाषण करार दिया। पिछले साल 10 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने बयानों पर समाचार रिपोर्टों पर ध्यान दिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी। न्यायमूर्ति यादव भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और उनसे दिए गए बयानों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया।
22 जनवरी को कार्यक्रम में शामिल होंगे कई वक्ता
कार्यक्रम संयोजक के अनुसार अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन और भारत विकास परिषद द्वारा संयुक्त रूप से संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी में राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की भूमिका से संबंधित पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। 22 जनवरी के कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में पूर्व आईपीएस अधिकारी और विहिप के काशी प्रांत के अध्यक्ष केपी सिंह, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी, विहिप के वरिष्ठ नेता बड़े दिनेश जी, प्रख्यात इतिहासकार संजय कुमार सिंह और भारत विकास परिषद के संगठन सचिव विक्रांत कंडेलवाल शामिल होंगे। कार्यक्रम में गोरक्षपीठ के पूर्व महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की भूमिका पर 23 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी। शशि प्रकाश सिंह ने आगे कहा कि संगोष्ठी में 1949 से लेकर अब तक राम मंदिर आंदोलन के इतिहास पर विचार किया जाएगा। यह आयोजन निरंजनी अखाड़ा पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के मार्गदर्शन में आयोजित किया जाएगा, जिसका उल्लेख आयोजन के ई-ब्रोशर में किया गया है।