फसलें बाढ़ के पानी में डूब , घरों में पानी से आफत
गंगा में आई बाढ़ से तराई क्षेत्र के गांवों की स्थिति खराब हो गई है। सैकड़ों एकड़ में खड़ी फसलें बाढ़ में डूब गई हैं, और प्रशासन द्वारा राहत का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। ग्रामीणों में आक्रोश है, और...
कंपिल । गंगा में आई बाढ़ से तराई क्षेत्र के गांवों की स्थिति खराब होते नजर आ रही है। इन गांवो के आस-पास सैकड़ों एकड़ भूमि पर खड़ी गन्ना, मक्का, धान व घुइयां की फसलें बाढ़ के पानी से डूब गई हैं। प्रशासन की ओर से राहत देने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश होने से डैम फुल हो गये। ऐसे में नरौरा, हरिद्वार, बिजनौर डैम से गंगा नदी में पानी डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद नदी में उफान आ गया और क्षेत्र के करीब एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो गये। इकलहरा से शाहपुर जाने वाले मार्ग पर पानी बह रहा है। जिससे आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पथरामई गांव में नदी के कटान की गति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह गांव इस मानसून सत्र में इतिहास की विषय वस्तु बन जाएंगे। नदी का रौद्र रुप देख सहमे ग्रामीण अपने ही हाथों अपना आशियाना उजाड़ दूर बसने के लिए मजबूर हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा सुधि न लिए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने ऊंचे स्थान पर मौजूद खेतों में पॉलीथिन व झोपड़ियां डालकर आशियाना बना लिया है उन्ही झोपड़ियों में पॉलीथिन के सहारे गुजर बसर कर रहे हैं। कम्पिल- बदायूं मार्ग पर बाढ़ का पानी तेज धार से बहने लगा है और जगह जगह गड्ढे हो गए हैं ।
आंख में आंसू लिए किसान जद्दोजहद में जुटा हुआ
कंपिल । लगातार हुई बारिश और उसके बाद गंगा नदी के जलस्तर ने अपने साथ तमाम किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है। ऐसे में बेबस किसान इस आपदा में बर्बाद हुई फसल को कभी निहारता है तो कभी किस्मत को कोसता है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर दवाई तक, मकान से लेकर शादी, ब्याह व तीज त्योहार तक का दारोमदार उसकी फसल पर ही निर्भर रहता है है। पानी में डूब कर बर्बाद हो चुकी फसल से कुछ खाने के दाने हाथ लगने की आस में आंख में आंसू लिए किसान जद्दोजहद में जुटा हुआ है।
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