Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Electricity workers angry over privatization observed protest day across UP gave warning regarding 13 January

निजीकरण को लेकर गुस्से में बिजलीकर्मी, पूरे यूपी में मनाया विरोध दिवस, 13 जनवरी को लेकर दी चेतावनी

  • बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर पूरे प्रदेश के बिजली कर्मियों के जबरदस्त गुस्सा है। निजीकरण के लिए सलाहकार नियुक्त करने का फैसला लिए जाने के विरोध में प्रदेश भर के बिजली कर्मियों ने शुक्रवार को विरोध दिवस मनाया।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ, विशेष संवाददाताFri, 10 Jan 2025 08:24 PM
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बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर पूरे प्रदेश के बिजली कर्मियों के जबरदस्त गुस्सा है। निजीकरण के लिए सलाहकार नियुक्त करने का फैसला लिए जाने के विरोध में प्रदेश भर के बिजली कर्मियों ने शुक्रवार को विरोध दिवस मनाया। विरोध सभाएं कर गुस्से का इजहार किया। चेतावनी दी कि निजीकरण का फैसला वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि प्रबंधन और शासन द्वारा लिया गया निजीकरण का यह फैसला पूरे प्रदेश के लिए है।

विरोध में लखनऊ के अलावा वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अयोध्या, देवीपाटन, सुल्तानपुर, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, मथुरा, झांसी और बांदा में बड़ी सभाएं हुईं। संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि अब बिजली कर्मी 13 जनवरी को कालीपट्टी बांधेंगे और विरोध सभाएं करेंगे। अवकाश के दिनों में बिजली कर्मी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से शहरों में और गांवों में आम उपभोक्ताओं के बीच जनजागरण अभियान चलाएंगे।

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बिजली निजीकरण का फैसला पूरे प्रदेश के लिए

ऊर्जा मुख्यालय शक्ति भवन पर शुक्रवार को हुई विरोधसभा में बड़ी संख्या में बिजली कर्मी शामिल हुए। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, रणवीर सिंह, के•एस• रावत, सुहैल आबिद,श्रीचंद, सरजू त्रिवेदी, मोहम्मद वसीम, आरसी पाल, रवि साहू आदि ने कहा कि निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन निजीकरण वापस होने तक जारी रहेगा।

बिजली कर्मचारी किसी धोखे में नहीं हैं, उन्हें स्पष्ट है कि एक बार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का निजीकरण करने में समय नहीं लगेगा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और शासन का निर्णय संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है। शुरुआत पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण से की जा रही है। आंदोलन का अगला कार्यक्रम 13 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।

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निजीकरण से 76 हजार कर्मचारियों की छंटनी होगी

बिजली का निजीकरण होने से सबसे अधिक गरीबी रेखा से नीचे रह रहे आम बिजली उपभोक्ता और किसान प्रभावित होंगे। कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि उपभोक्ताओं के साथ ही निजीकरण का सबसे अधिक खामियाजा बिजली कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा। पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम का निजीकरण होने से करीब 50 हजार संविदा कर्मियों और 26 हजार नियमित कर्मचारियों की छंटनी होगी। कॉमन कैडर के अभियंताओं और अवर अभियंताओं की बड़े पैमाने पर पदावनति और छंटनी होगी। जहां भी निजीकरण हुआ है वहां बड़े पैमाने पर छंटनी हुई हैं।

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