यूपी में बिजली के निजीकरण के लिए बढ़ाया बड़ा कदम, गुस्से में कर्मचारी, कल विरोध दिवस का ऐलान
यूपी बिजली के निजीकरण की ओर शासन ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। गुरुवार को हुई एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई।
यूपी बिजली के निजीकरण की ओर शासन ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। गुरुवार को हुई एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई। पावर कारपोरेशन प्रबंधन अब जल्द ही कंसल्टेंट चयन के लिए टेंडर निकालेगा। वहीं, कंसल्टेंट चयन के प्रस्ताव के अनुमोदन पर बिजली कर्मियों ने गुस्से का इजहार किया है। इसके विरोध में 10 जनवरी को पूरे प्रदेश में विरोध दिवस मनाने की घोषणा की गई है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गुरुवार को एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक हुई जिसमें उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा कंसल्टेंट रखे जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। टास्क फोर्स ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया। निजीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले अन्य कदमों पर भी चर्चा की गई।
निजीकरण का निर्णय वापस होने तक जारी रहेगा संघर्ष
ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट चयन का प्रस्ताव अनुमोदित होने की सूचना मिलते ही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने 10 जनवरी शुक्रवार को प्रदेश में विरोध दिवस मनाने की घोषणा कर दी। ऐलान किया कि निजीकरण का निर्णय वापस होने तक संघर्ष जारी रहेगा। संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए आरएफपी डॉक्यूमेंट (टेंडर निकालने) को अनुमति दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण और भड़काने वाला कदम है।
पूर्व में हुए समझौते का उल्लंघन है कंसल्टेंट रखे जाने का फैसला
समिति ने कहा है कि पांच अप्रैल 2018 और छह अक्तूबर 2020 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। आज एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए दिया गया अनुमोदन समझौते का खुला उल्लंघन है।
फैसले से औद्योगिक अशांति का माहौल बन रहा
संघर्ष समिति के पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, राम सहारे वर्मा ने कहा है कि वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब भी कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई थी और लगभग 15 करोड़ रुपये कंसलटेंट पर खर्च किए गए थे। विद्युत परिषद के विघटन का प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ है। फिर से कंसल्टेंट की नियुक्ति कर सरकारी धन का अपव्यय किया जा रहा है। इससे अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण पैदा किया जा रहा है।
भोजनवाकाश और कार्यालय अवधि के बाद करेंगे सभाएं
10 जनवरी को विरोध दिवस के तहत समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंता भोजनावकाश में या कार्यालय समय के बाद समस्त जनपदों व परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभाएं करेंगे। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और निजीकरण का निर्णय वापस होने तक सतत संघर्ष जारी रहेगा। 11,12, 13 और 14 जनवरी को अवकाश के दिनों में आम उपभोक्ताओं के बीच निजीकरण के विरोध में अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष के विस्तृत कार्यक्रमों की घोषणा कल की जाएगी।
संघर्ष समिति ने कहा है कि विरोध के बाद भी महाकुंभ के दौरान बिजली कर्मी श्रेष्ठतम बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए संकल्पित हैं। “सुधार और संघर्ष के मंत्र पर काम करते हुए महाकुंभ में बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान भी बनाएंगे और निजीकरण के विरोध में संघर्ष भी जारी रखेंगे।