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बोले देवरिया : सफाई कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बने, कोरोना काल का डीए मिले

Deoria News - Deoria news : करीब डेढ़ दशक पूर्व गांवों में सफाई व्यवस्था के लिए सफाईकर्मियों की तैनाती की गई। इनकी तैनाती के बाद से गांवों में सफाई व्यवस्था की तस्वी

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाMon, 10 March 2025 06:47 PM
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बोले देवरिया : सफाई कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बने, कोरोना काल का डीए मिले

देवरिया। जिले के 16 विकास खण्डों की 1121 ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई के लिए करीब 21 सौ सफाई कर्मचारी तैनात हैं। सफाई व्यवस्था के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत चलने वाले अन्य अभियानों का दायित्व भी इनके कंधों पर ही है। छोटी ग्राम पंचायतों में तो हालात कुछ ठीक हैं लेकिन बड़ी ग्राम पंचायतों में संख्या बल कम होने से इनकी चुनौती बढ़ जाती है। 16 साल में नहीं बनी सेवा नियमावली: सफाई कर्मी सन्नी बांसफोड़ बताते हैं कि नौकरी करते हुए उन्हें 16 वर्ष हो चुके हैं लेकिन सरकार ने अभी तक सेवा नियमावली नहीं बनाई है। सभी विभागों में प्रोन्नति की व्यवस्था लागू है लेकिन सफाई कर्मियों की प्रोन्नति का इंतजाम नहीं है। उनकी मांग है कि यह हमारा हक है और सरकार को उसे देना चाहिए।

प्रधान के हाथ में बजट: सफाई कर्मी रमेश यादव लोगों के व्यवहार से दुखी हैं। उनका कहना है कि साफ-सफाई की जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करने के बाद भी लोग हमें हेय दृष्टि से ही देखते हैं। योगेंद्र भारती बताते हैं कि ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई की सामग्रियों की खरीदारी का बजट ग्राम निधि खाते में ही आता है। अधिकांश ग्राम प्रधान सफाई के सामानों की खरीदारी के लिए रुपए देने में आनाकानी करते हैं। मजबूरी में हमें अपने पैसे से ही जरूरत के सामानों को खरीदारी करनी पड़ती है। उनकी मांग है कि बजट ग्राम निधि में न भेजकर सफाई कर्मियों के ही खाते में भेजी जानी चाहिए।

नहीं बना एनपीएस पासबुक: सफाई कर्मचारियों का अब तक एनपीएस पासबुक नहीं बना है। सफाई कर्मी संजय गौतम बताते हैं कि डेढ़ दशक में हम लोगों के वेतन से 10 से 12 लाख तक की कटौती की जा चुकी है। लेकिन हमारे एनपीएस खाते में कितने रुपये हैं यह किसी को नहीं पता। एनपीएस पासबुक शीघ्र बनाए जाना चाहिए। इतना ही नहीं ग्राम पंचायतों में प्रतिदिन ड्यूटी करने के बाद भी कई ग्राम प्रधानों द्वारा पेरोल नहीं बनाया जाता है। जिससे समय से वेतन मिलने में दिक्कत होती है। उनकी मांग है कि प्रधान द्वारा पेरोल बनाने की व्यवस्था खत्म हो।

कोरोना काल का 18 माह का डीए मिले: अशोक भारती कहते हैं कि कोरोना काल में सफाई कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सभी जिम्मेदारियां का बखूबी निर्वहन किया। सरकार ने हमें कोरोना योद्धा की उपाधि तो दी लेकिन 18 महीने का डीए अब तक नहीं दिया है। इसके लिए बार-बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई जा रही है लेकिन इसके भुगतान की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। रणजीत प्रसाद कहते हैं कि कोरोना योद्धा कहलाने के बावजूद हम सफाई कर्मियों को लोग धमकी दे डालते हैं। जिससे कई बार काम करने में दिक्कत होती है।

शिकायतें

1. विभाग में वर्षों से सफाईकर्मियों का मेडिक्लेम भुगतान नहीं हो रहा है। अधिकारी कोई न कोई कमी लगाकर लटका देते हैं।

2. शासन ने सफाईकर्मियों के लिए कैशलेस कार्ड बनाने का आदेश दिया है लेकिन अभी तक आदेश का पालन नहीं हुआ।

3. कोरोना कल का 18 महीने का डीए का भुगतान अभी भी बकाया चल रहा है।

4. सफाई कर्मचारियों का अभी तक एनपीएस पासबुक नहीं बनाया गया है।

5. उपकर की धनराशि ग्राम निधि खाते में जाने से सामग्री खरीदारी में दिक्कत होती है।

सुझाव

1. सफाई उपकरण की धनराशि ग्राम निधि के खाते में न भेजकर सफाई कर्मचारियों के खाते में भेजी जाए।

2. मेडिक्लेम भुगतान के लंबित फाइलों का शीघ्र निस्तारण किया जाए।

3. शासनादेश के अनुरूप सभी सफाई कर्मियों का स्वास्थ्य सुविधा के लिए शीघ्र कैशलेस कार्ड बना बनाया जाए।

4. कोरोना काल के18 महीने के डीए का शीघ्र भुगतान हो।

5 .सफाई कर्मचारियों का एनपीएस पासबुक शीघ्र बनाया जाए, जिससे कर्मचारियों को अपने फंड की जानकारी हो सके।

सफाईकर्मियों का दर्द

16 वर्ष की सेवा करने के बावजूद भी हमारी सेवा नियमावली नहीं बनी है। विभाग को सेवा नियमावली बनानी चाहिए।

रामचन्द्र प्रसाद

सफाई के लिए उपकरण की धनराशि ग्राम निधि के खाते में आती है जिसे सफाई कर्मियों के खाते में भेजा जाना चाहिए।

मुन्ना बांसफोड़

जिन कर्मचारियों के मेडिकल में भुगतान विभाग में लंबित पड़े हैं उसका शीघ्र निस्तारण किया जाना चाहिए।

हरेंद्र राजभर

शासनादेश के बावजूद सफाई कर्मियों का कैशलेस कार्ड नहीं बनाया गया है। यह किसी भी तरह से उचित नहीं है।

राम हर्ष

नई पेंशन व्यवस्था को खत्म कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। ऐसा करने से ही हमारा भविष्य भी सुरक्षित होगा।

दयाल दास भारती

नियम विरुद्ध तरीके से सम्बद्ध होकर कार्यालयों में काम कर रहे कर्मचारियों को उनके मूल स्थान पर तैनात किया जाना चाहिए।

सुजीत कुमार

सफाई कर्मियों का नाम बदलकर स्वच्छता सेवक या सफाई सेवक किया जाना चाहिए। हम लोगों का प्रमोशन भी होना चाहिए।

रमेश कुमार

जिले के लगभग ढाई सौ सफाईकर्मियों का एसीपी नहीं लगा है इसे अविलंब लगाया जाएं। हमारी फाइलों का जल्द निस्तारण हो।

निरंजन प्रसाद

गवंई राजनीति में कुछ गावों में तनाव पैदा कर दिया जाता है। इसमें हम सफाईकर्मियों को भी निशाना बनाया जाता है।

रविन्द्र प्रसाद

प्रधान द्वारा पेरोल भरे जाने की व्यवस्था को समाप्त हो। कई बार कुछ ग्राम प्रधान पेरोल के नाम पर हमारा शोषण करते हैं।

रामानंद

कोरोना योद्धा की सरकार द्वारा उपाधि मिलने के बावजूद भी ग्राम पंचायतों में लोग उपेक्षा की दृष्टि से हम लोगों को देखते है।

शिवजी मौर्य

डेढ़ दशक से अधिक समय तक काम करने के बाद अभी तक हम लोगों का प्रमोशन नहीं हुआ है। इस पर ध्यान दिया जाएं।

मनीष यादव

सफाई कर्मियों का वार्षिक वेतन वृद्धि लगाए बिना ही जनवरी का वेतन दे दिया गया है। जबकि वेतन वृद्धि लगाया जाना चाहिए।

संजय प्रसाद

एक ही विकासखंड में कई वर्षों से जमें कर्मियों का स्थानांतरण किया जाना चाहिए। इससे कार्य शैली बेहतर हो सकेगी।

रामसुभग प्रसाद

बोले जिम्मेदार

सफाई कर्मचारियों की स्थानीय स्तर पर जो भी समस्याएं हैं उसका नियमानुसार निस्तारण कराया जाएगा। सफाई कर्मियों की गावों में तैनाती आबादी के अनुसार है। बड़ी ग्राम पंचायतों में दो अथवा उससे अधिक सफाईकर्मी लगाए जाते हैं। अतिरिक्त कार्य उनसे कभी-कभी ही कराया जाता है। यदि जरूरी होगा तो भविष्य में पूरी पारदर्शिता से स्थानांतरण की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।

रतन कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी

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