AMU पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अलीगढ़ के भाजपा सांसद खुश नहीं, कहा- सरकार यूनिवर्सिटी को मदद रोके
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम को पसंद नहीं आई है। सरकार से यूनिवर्सिटी की मदद रोकने की अपील भी कर दी है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम को पसंद नहीं आई है। सांसद ने फैसले के बाद कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कहा कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार को चाहिए कि संस्थान को अल्पसंख्यक स्वरूप रहने के चलते जो भी मदद दी जाती हैं, उन्हें रोक दे।
भाजपा सांसद के निशाने पर हमेशा से ही एएमयू रहा है। कभी जिन्ना की तस्वीर, कभी एएमयू में प्रवेश प्रक्रिया, कभी मेडिकल कॉलेज में उपचार में भेदभाव किए जाने को लेकर सांसद सवाल उठाते रहे हैं। एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर भी संसद में सांसद ने कई बार सवाल किया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दुस्तान से बातचीत में सांसद ने कहा कि अभी कोई नया फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं दिया गया है।
पुराने अल्पसंख्यक स्वरूप को ही बरकरार रखा है। वहीं अब तीन जजों की नई बेंच आने वाले दिनों में फैसला लेगी। सांसद ने कहा कि अल्पसंख्यक वह कहलाते हैं जो वर्ग पूरे देश में पांच प्रतिशत हो। जबकि यूपी में ही मुस्लिमों की आबादी 19 से 20 प्रतिशत है। जिन जातियों की आबादी दो से तीन प्रतिशत है, वह अल्पसंख्यक हैं, उन्हें ही अल्पसंख्यक दर्जे का लाभ मिलना चाहिए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले को नई पीठ के पास भेज दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया था।
शुक्रवार को सात जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने 4:3 के बहुमत से कहा कि मामले के न्यायिक रिकॉर्ड को सीजेआई के समक्ष रखा जाना चाहिए ताकि 2006 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की वैधता तय करने के लिए नई पीठ गठित की जा सके। ऐसे में अब तीन जजों की संविधान पीठ तय करेगी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान का हकदार है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।