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सुप्रीम फैसले से एएमयू कैम्पस में खुशी का माहौल, जमीयत ने सरकार पर साधा निशाना

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखे जाने का फैसला आने के बाद कैम्पस में खुशी का माहौल है। वहीं, जमीयत ने सरकार पर निशाना साधा है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, अलीगढ/देवबंदFri, 8 Nov 2024 07:10 PM
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखे जाने का फैसला आने के बाद कैम्पस में खुशी का माहौल है। छात्र-छात्राओं सहित एएमयू इंतजामिया में खुशी की लहर दौड़ गई है। देश-दुनिया में फैली अलीग बिरादरी ने इस फैसले को अपनी जीत बताया है। वहीं जमीयत ने फैसले के बाद सरकार पर निशाना साधा है। कहा कि इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सरकार को भी आईना दिखाया है जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट बनी हुई थी।

एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा फैसला सुनाए जाने पर सभी की निगाहें लगी हुईं थीं। सुबह से ही कैम्पस सहित पूरे शहर में पुलिस-प्रशासन अलर्ट हो गया था। करीब साढ़े 11 बजे जैसे ही फैसला आया तो एएमयू के शिक्षकों, विद्यार्थियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी ने एक दूसरे को बधाई दी। एएमयू के तमाम आवासीय हॉल, विभागों में मौजूद विद्यार्थियों ने जश्न मनाया। सोशल मीडिया के जरिए दुनियाभर में फैले छात्र-छात्राओं ने अपनी खुशी का इजहार किया।

बता दें कि अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर 59 वर्षों से विवाद बना हुआ था। जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद समाप्त हो गया। दरअसल 1965 में अल्पसंख्यक स्वरूप को खत्म कर दिया गया था। 1967 में सुप्रीम कोर्ट में एएमयू की तरफ से याचिका दायर की गई थी। 1981 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने पुन: अल्पसंख्यक स्वरूप को बहाल किया था। 2004 में अल्पसंख्यक स्वरूप के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी।

2006 में हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक स्वरूप को खारिज कर दिया था। फैसले के बाद एएमयू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस बीच 2016 में केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक संस्थान का शपथ पत्र वापिस ले लिया था। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मामले में सुनवाई के लिए तय हुई थी। जिसके बाद एक फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब जाकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मौजूदा सरकार को दिखाया आईना : मौलाना महमूद मदनी

देवबंद। सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई की अध्यक्षता वाली सात सदस्य पीठ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक चरित्र बरकरार रखने के आदेश का जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सरकार को भी आईना दिखाया है जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट बनी हुई थी।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को संविधान पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के रुख के खिलाफ अदालत में मौजूदा सरकार ने अल्पसंख्यक चरित्र को खत्म करने का रुख अपनाया था।

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हमेशा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। कहा कि अजीज बाशा मामले में जब 1967 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फिदा-ए-मिल्लत मौलाना सैयद असद मदनी के नेतृत्व में 14 वर्षों तक इसके खिलाफ संसद के अंदर और बाहर लंबी लड़ाई लड़ी थी। सरकार के इस रवैये के खिलाफ पिछले दस वर्षों से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हर संभव संघर्ष किया है।

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