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बिना नबी से मोहब्बत मुसलमान का इमान मुकम्मल नहीं: मदनी

बिजनौर में 12 रबी उल अव्वल के मौके पर सीरत उल नबी के जलसे में मौलाना सैयद अजहर मदनी ने कहा कि मुसलमान का इमान बिना नबी से मोहब्बत के मुकम्मल नहीं हो सकता। उन्होंने तीन बातें बताईं, जिनसे नबी से...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरTue, 17 Sep 2024 05:53 PM
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बिजनौर। बिना नबी से मोहब्बत किए हुए मुसलमान का इमान मुकम्मल नहीं हो सकता। यह बयान 12 रबी उल अव्वल के मौके पर सोमवार को स्थानीय मोहल्ला चाहशीरीं जामा मस्जिद में सीरत उल नबी के जलसे में देवबंद से आए मौलाना सैयद अजहर मदनी ने खिताब करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि रसूल अल्लाह से मोहब्बत करना ही हमारा ईमान है। किसी भी मुसलमान का ईमान तब तक मुकम्मल नहीं हो सकता जब तक की उसके दिल में नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत ना हो। हम सिर्फ तीन बातों पर अगर अमल करें तो किसी भी मुसलमान के लिए नबी से मोहब्बत करना आसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में रहकर झूठ ना बोले, अमानतों को ख्याल रखें जो शख्स किसी की अमानत का ख्याल रखकर उसकी अमानत वापस लौटाता है अल्लाह उसे खुश होता है। यह तीसरा अमल यह है कि हर मुसलमान को अपने पड़ोसी चाहे वह गरीब हो,अमीर हो या फिर मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम उसके साथ हुस्ने सलूक रखे। इजलास की शुरुआत कारी अब्दुल बासित की कुराने तिलावत से हुई। इजलास में नाते पाक मौलाना साकिब उज़ैर ने पेश की। इजलास को मौलाना महफूजुर रहमान और हजरत मौलाना मुजम्मिल ने भी खिताब किया।

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