बूढ़े बाबा की दरगाह पर नहीं लगा मेला, मेलार्थी वापस
Barabanki News - सतरिख के बूढ़े बाबा की दरगाह पर इस बार सालाना उर्स और मेले की अनुमति नहीं मिली, जिससे मेला नहीं लगा। हालाँकि, जायरीन दूर-दूर से आए और दर्शन किए। स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की थी। मेले...

विवाद को देखते हुए दरगाह पर तैनात रही पुलिस फोर्स बिना मेला भीड़ जुटने की सूचना से प्रशासन रहा सतर्क सतरिख। कस्बा स्थित सैयद सालार साहू गाजी रहमतुल्ला अलैय उर्फ बूढ़े बाबा की दरगाह पर लगने वाला सालाना उर्स और पारंपरिक मेले की अनुमति स्थानीय पुलिस और प्रशासन द्वारा न मिलने से इस बार मेला नहीं लगा। जबकि बड़े मंगल के बाद पड़ने वाले पहले शनिवार को लखनऊ सीतापुर, रायबरेली सहित कई जनपदों से आए जायरीन दरगाह पर फूल डाली पेश करने पहुंचे। इस दौरान स्थानीय पुलिस बल मुस्तैद दिखाई दिया। दरगाह तक पहुंचने वाले तीन मुख्य मार्गों पर बेरीकेडिंग पुलिस ने पहले ही कर रखी थी।
बैरिकेडिंग पर तैनात पुलिसकर्मियों ने अधिकतर मेलार्थियों को बाहर से ही वापस कर दिया। लेकिन मन्नत लेकर दूर जनपदों से आए कुछ लोगों को स्थानीय पुलिस द्वारा दूर से ही दर्शन करने दिया गया।सतरिख कस्बा स्थित बूढ़े बाबा की दरगाह पर लगने वाले मेले का विरोध अबकी बार कई हिंदू संगठनों, समाजसेवियों ने किया था। इस पर स्थानीय पुलिस ने अपनी आख्या रिपोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन को दरगाह पर मेला न लगने की रिपोर्ट सौंपी थी। बड़े मंगल के बाद शनिवार को मेले का बड़े कुल का आयोजन होता था। इसमें लाखों की संख्या में मेलार्थी आते थे। मेला परिसर में मुंडन संस्कार से लेकर कई प्रकार के धार्मिक आयोजन होते थे। लेकिन इस बार मेला न लगने से मिला परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है। दरगाह व मेला कमेटी के सचिव चौधरी कलीमुद्दीन उस्मानी ने बताया कि प्रशासन की अनुमति न मिलने से इस बार मेले का आयोजन नहीं किया गया है। लेकिन शनिवार की भोर से दूर दराज के जनपदों से दर्शनार्थी दरगाह पर आकर दर्शन करके जा रहे हैं। दरगाह पर औपचारिक तौर पर कुरान का पाठ करवाया गया। मेला कमेटी के अनुसार करीब एक हजार से ऊपर दर्शनार्थी दरगाह पर मत्था टेक चुके हैं। मेला सचिव ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
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