कांशीराम जयंती पर मायावती ने उठाई जातिगत जनगणना की मांग, बोलीं-सरकार जल्द से जल्द करे ये काम
- बसपा प्रमुख मायावती ने देश और समाज के विकास को नई दिशा देने के लिए जातीय जनगणना को अहम बताया। उन्होंने कहा कि इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता निभाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिए। मायावती के इस रुख को आने वाले दिनों में उनकी सियासत में संभावित बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

Mayawati on Caste Census: जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अब बसपा सु्प्रीमो मायावती ने भी अपनी मांग सामने रख दी है। बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती के मौके पर मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए देश में जातिगत जनगणना की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि देश में इस समय बहुजन समाज की आबादी 80 फीसदी से अधिक है।
उन्होंने देश और समाज के विकास को नई दिशा देने के लिए जातीय जनगणना को अहम बताया और कहा कि इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता निभाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिए। मायावती के इस रुख को आने वाले दिनों में उनकी सियासत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि मायावती का ये स्टैंड भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
शनिवार को कांशीराम जयंती पर कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर मायावती ने बसपा को बहुजनों की सबसे हितैषी पार्टी बताया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के लोगों का कल्याण बसपा सरकार के समय ही हुआ। पार्टी संस्थापक कांशीराम की बात को दोहराते हुए मायावती ने कहा कि इस समाज के लोगों को अपने वोटों की ताकत को समझना होगा। अपने उद्धार के लिए उन्हें सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेनी होगी। कांशीराम जी के लिए बहुजनों की यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बाबा साहेब ने संवैधानिक और कानूनी तौर उनके हक के लिए जनगणना से जनकल्याण की गारंटी राष्ट्रीय जनगणना से प्रावधान किया है। जनगणना नहीं कराने पर चिंता जताई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने देश में धर्म, क्षेत्र, जाति और संप्रदाय को लेकर तेजी से पनप रहे विवादों पर चिंता जताई और कहा कि इस तरह के घातक विवाद की असली जड़ में हर स्तर पर हावी हो रही संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक द्वेष की राजनीति है। जबकि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ापन जैसी समस्याओं को पूरी तरह भुला दिया गया है।