Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Even after spending 50 crores, the condition of ambulances in Rajasthan is poor, read the details

बीमार सिस्टम की एम्बुलेंस! राजस्थान में सालाना 50 करोड़ खर्च करके भी मरीज भगवान भरोसे

  • नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की ताजा रिपोर्ट ने प्रदेश की 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाओं की पोल खोल दी है। रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि राज्य की 10 फीसदी एम्बुलेंस में गंभीर खामियां पाई गई हैं।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरSun, 20 April 2025 08:31 PM
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बीमार सिस्टम की एम्बुलेंस! राजस्थान में सालाना 50 करोड़ खर्च करके भी मरीज भगवान भरोसे

राजस्थान की एम्बुलेंस सेवा मरीजों को राहत देने की बजाय खुद ही इलाज की मोहताज नजर आ रही है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की ताजा रिपोर्ट ने प्रदेश की 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाओं की पोल खोल दी है। रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि राज्य की 10 फीसदी एम्बुलेंस में गंभीर खामियां पाई गई हैं—कहीं इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (EMT) नदारद है तो कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर ही गायब।

NHM द्वारा 3 से 9 अप्रैल के बीच कराए गए सर्वे में 100 से ज्यादा एम्बुलेंस ऐसी पाई गईं जिनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। 8 एम्बुलेंस के टायर बेहद खराब हालत में थे, और स्टेपनी तक नहीं थी। वहीं 6 एम्बुलेंसों में जरूरी दवाइयां और मेडिकल उपकरण नहीं मिले। सबसे हैरानी की बात ये है कि 2 एम्बुलेंस में EMT तक मौजूद नहीं था, जो मरीजों को प्राथमिक उपचार देता है। एक एम्बुलेंस में तो ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं मिला—यानि जीवन रक्षक गैस का नामोनिशान नहीं।

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28 एम्बुलेंस ऐसी भी पाई गईं जिनमें एयर कंडीशनर तो लगे थे, लेकिन काम नहीं कर रहे थे। गर्मी के इस मौसम में मरीजों और उनके परिजनों को अंदर बैठना भी किसी सजा से कम नहीं। राज्य में फिलहाल NHM के तहत 960 ‘108’ एम्बुलेंस संचालित हो रही हैं, जिनमें से 88 में खामियां सामने आई हैं। वहीं जननी सुरक्षा योजना के तहत चल रही 583 एम्बुलेंस में से 14 भी खस्ताहाल निकलीं।

जयपुर जिले की बात करें तो यहां एम्बुलेंस सेवाओं पर हर साल 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं। पूरे राज्य की बात करें तो सरकार हर साल 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि एम्बुलेंस संचालन पर खर्च करती है। बावजूद इसके जमीनी हालात बताते हैं कि सिस्टम फाइलों में ही दुरुस्त है, जमीन पर नहीं।

राज्य सरकार एक ओर हेल्थ सिस्टम सुधारने के वादे करती है, वहीं दूसरी ओर दवाओं की कमी, डॉक्टरों का एपीओ में रहना और अब एम्बुलेंस की बदहाली यह साबित कर रही है कि असल तस्वीर वादों से कोसों दूर है।

NHM ने स्थिति को गंभीर मानते हुए एम्बुलेंस सेवा प्रदाता कंपनियों—मॉडर्न इमरजेंसी सर्विस प्रा. लि. और EMRI ग्रीन हेल्थ सर्विसेज को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आमजन का सवाल सीधा है—जब आपातकाल में एम्बुलेंस ही लाचार होगी, तो फिर मरीज कहां जाएगा?

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