‘टॉयलेट किंग ऑफ पंजाब’; शौचालय की मरम्मत के शिलापट्ट लगाने पर भगवंत मान ट्रोल, सरकार का जवाब
- सोशल मीडिया पर दो पट्टिकाएं वायरल हो रही हैं। एक बरनाला के शहीद सिपाही दलिप सिंह सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुनास की है। दूसरी फाजिल्का के सरकारी स्मार्ट स्कूल भंगू की है।

पंजाब सरकार की ओर से हाल ही में शुरू की गई ‘शिक्षा क्रांति’ योजना के तहत स्कूलों में शौचालयों की मरम्मत कराई जा रही है। ऐसे कार्यों पर भी शिलापट्ट लगाने का फैसला अब सोशल मीडिया पर मीम्स और आलोचनाओं का कारण बन गया है। लोगों ने इसे करदाताओं के पैसों की बर्बादी करार देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं को ट्रोल करना शुरू कर दिया। इस मामले को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस का बयान आया है। उन्होंने इसे लेकर राज्य में विपक्षी दलों पर जोरदार निशाना साधा।
हरजोत बैंस ने कहा, 'आजादी के 75 साल बाद भी कांग्रेस, अकाली और बीजेपी की सरकार स्कूलों में टॉयलेट तक नहीं बना पाई। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले पंजाब के 3,000 से ज्यादा स्कूलों में बाथरूम नहीं थे। आज इन्हें नेमप्लेट देख शर्म आ रही है। मगर, तब कहां थी इनकी शर्म जब हमारी बच्चियां खुले में जाने को मजबूर थीं? तब कहां थी इनकी शर्म जब बच्चियों को साफ सुथरे बाथरूम ना होने के कारण स्कूल छोड़ना पड़ता था?'
शिलापट्ट पर क्या लिखा गया
बता दें कि शिलापट्टों पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस का नाम प्रमुखता से उकेरा गया है, जबकि स्थानीय विधायक का नाम उनके नीचे लिखा हुआ है। सोशल मीडिया पर 2 पट्टिकाएं वायरल हो रही हैं। एक बरनाला के शहीद सिपाही दलिप सिंह सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुनास की है। दूसरी फाजिल्का के सरकारी स्मार्ट स्कूल भंगू की है। इन शिलापट्टों पर शौचालय मरम्मत जैसे छोटे कार्यों के लिए भी शिलान्यास और उद्घाटन का उल्लेख है।
एक्स पर "Tractor 2 Twitter Punjab" नाम के एक हैंडल ने सरकार की इस पहल को करदाताओं के पैसे की खुली बर्बादी बताया। उन्होंने लिखा, “विश्वास नहीं होता कि शौचालय मरम्मत के लिए भी विधायक नींव रख रहे हैं।” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर गुरकीरत सिंह ने लिखा, “हर बार वही मंत्री, वही काम। हरजोत सिंह बैंस वाकई ‘टॉयलेट किंग ऑफ पंजाब’ बनने की होड़ में हैं। ये विकास नहीं, भ्रम है।”
हालांकि, कुछ यूजर्स ने इस पहल का समर्थन भी किया। एक यूजर ने लिखा, “शौचालय खासतौर पर लड़कियों के लिए अहम सुविधा है। इतनी छोटी सी बात को बेवजह मुद्दा बना रहे हैं।” वहीं, एक अन्य यूजर माणिक गोयल ने लिखा, “बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए पट्टिकाएं लगाना ठीक है, लेकिन ऐसे छोटे कामों के लिए इससे बचा जाना चाहिए ताकि पैसे की बचत हो।”
लोग यह भी याद दिला रहे हैं कि जब भगवंत मान सिर्फ सांसद थे या जब AAP ने पंजाब में सत्ता संभाली थी तब इस तरह की शिलापट्टों से परहेज किया जाता था। उस समय जिन लोगों ने विकास कार्यों में योगदान दिया, उनके नाम तक शिलापट्टों में नहीं लिखे जाते थे।
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