90 सीटों वाले हरियाणा में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें कही जा रही थीं, लेकिन चुनाव के नतीजों ने नई तस्वीर पेश की। एक ओर जहां भाजपा ने 48 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल की। वहीं, सत्ता की आस में बैठी कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत तो नहीं मिली, लेकिन 29 सीटों की जीत को बड़ी सफलता माना जा रहा था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस की अगुवाई वाले गठबंधन ने 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई। यहां कुल सीटें 90 थीं। NC के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं।
2019 से 2024 तक जमकर सियासी उथल-पुथल का गवाह बने महाराष्ट्र के लिए विधानसभा चुनाव भी रोमांचक रहे। यहां भाजपा की अगुवाई वाली महायुति ने 288 में 230 सीटें जीती। इनमें अकेले भाजपा के खाते में 132 सीटें आई थीं। जबकि, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को कुल 46 सीटें मिली। इनमें 100 से ज्यादा सीटें पर लड़ी कांग्रेस को महज 16 सीटें मिलीं। खास बात है कि लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा समेत महायुति के तीनों दलों को बड़ा नुकसान हुआ था।
यहां भाजपा ने 24 सालों से सत्ता में बैठी बीजू जनता दल को बाहर कर दिया। राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 78 सीटें मिली थी। जबकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजद महज 51 सीटें पर थी। खास बात है कि 2004 में हुए पहले चुनाव के बाद भाजपा का राज्य में सबसे अच्छा और बीजद का सबसे खराब प्रदर्शन था। इधर, कांग्रेस 14 सीटों पर सिमट गई थी।
भाजपा ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी में सफलता हासिल की। 60 सीटों वाली अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में भाजपा ने 46 सीटें जीती। यहां मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत 10 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की थी। कांग्रेस महज 1 सीट हासिल कर सकी थी।