'जाट जाप' में क्यों जुटे केजरीवाल, दिल्ली के जाट किसका बिगाड़ेंगे खेल; क्या है सियासी गणित
Delhi Assembly Election: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 8 सीटें जाट बहुल हैं। इनमें से पांच पर आप का कब्जा है, जबकि तीन पर भाजपा की जीत हुई है।
Delhi Assembly Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी के जाट समुदाय को आरक्षण देने के वादे से मुकरने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में शामिल करने की मांग की है और लगे हाथ आरोप लगाया कि मोदी सरकार पिछले 10 सालों से जाट समुदाय को गुमराह कर रही है।
केजरीवाल ने कहा, “2015 में भाजपा ने जाट नेताओं को प्रधानमंत्री आवास पर आमंत्रित किया और उन्हें आश्वासन दिया कि दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 2019 में यही वादा किया था। हालांकि, इन वादों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया गया।” ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर केजरीवाल ने फिर पांच साल बाद क्यों इस मुद्दे को उठाया। इससे पहले वह क्यों नहीं भाजपा पर हमलावर रहे।
जाट बहुल 8 में से पांच पर आप का कब्जा
दरअसल, ये सारी कवायद विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हो रही है। दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होने हैं। उससे पहले केजरीवाल जाट समुदाय को अपने पाले में करना चाहते हैं। जाट परंपरागत तौर पर दिल्ली में भाजपा के साथ रहा है लेकिन पिछले तीन चुनावों से उसका रुझान आम आदमा पार्टी की तरफ हुआ है। इसकी बानगी ऐसे समझी जा सकती है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 8 सीटें जाट बहुल हैं। इनमें से पांच पर आप का कब्जा है, जबकि तीन पर भाजपा की जीत हुई है।
दिल्ली में 10 फीसदी जाट मतदाता
दिल्ली में करीब 10 फीसदी जाट वोटर्स हैं। दिल्ली के कई ग्रामीण सीटों पर जाट मतदाताओं का वर्चस्व है। एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली के लगभग 60 फीसदी गांवों में जाट वोटर्स का दबदबा है। वह उन गांवों और विधानसभा सीट पर हार-जीत में बड़ा किरदार निभाते हैं। भाजपा ने जाट वोटरों को लुभाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को आगे कर रखा है।
गहलोत को तोड़ चुकी भाजपा
भाजपा ने आम आदमी पार्टी के जाट वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ही पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल के खास और उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे कैलाश गहलोत को अपने साथ कर लिया है। गहलोत 2015 से जाट बहुल नजफगढ़ सीट से विधायक हैं। भाजपा को उम्मीद है कि गहलोत के आने से और प्रवेश वर्मा को आगे करने से बाहरी दिल्ली और ग्रामीण दिल्ली के जाट मतदाताओं को साधा जा सकता है, जैसा कि साहिब सिंह वर्मा के समय में 1990 के दशक में होता था।
ओबीसी का लॉलीपॉप दांव
इधर, केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली के जाटों को दिल्ली में ओबीसी श्रेणी के तहत मान्यता दिए जाने के बावजूद, केंद्र सरकार ने उन्हें लाभ देने से इनकार कर दिया है। ‘आप’ प्रमुख ने कहा, “यह विश्वासघात है। केंद्र को दिल्ली के जाट समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें नौकरियों और कॉलेज में दाखिले समेत केंद्र सरकार के संस्थानों में आरक्षण मिले।”
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियां दिल्ली में बड़े पैमाने पर काम करती हैं और जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने से उनके लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे। उन्होंने समुदाय की मांगें पूरी होने तक लड़ाई जारी रखने का वादा किया।