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रेजिडेंट डॉक्टर बोले, जांच और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाई जाए

पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में सीबीआई जांच और न्याय की मांग की। कोलकाता में एक प्रेस वार्ता में, उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई। जूनियर...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 16 Sep 2024 02:49 PM
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नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। कोलकाता में महिला डॉक्टर से बर्बरता के बाद हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों और देशभर के विभिन्न आरडीए संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को पांच मांगें उठाई। दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉक्टरों ने सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट से जांच और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाकर अपराधियों को जल्द से जल्द दंडित किए जाने की मांग की। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा।

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट के सदस्यों ने कहा, घटना के दिन साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई। एसआईटी की ओर से अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कई सवाल उठाए गए, जिनमें सीबीआई को संपूर्ण सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया जाना, शव का अंतिम संस्कार जल्दी करा देना, मजिस्ट्रेट की कार्रवाई के बाद चालान के रूप में लिखित प्रमाण नहीं दिए जाने और 14 घंटे बाद एफआईआर दर्ज किया जाना शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कोलकाता के एक डीसीपी की ओर से शोकाकुल परिवार को रुपयों की पेशकश की गई। पुलिस की मौजूदगी में उसी विभाग में तीन दिन के भीतर संदिग्ध मरम्मत कार्य शुरू हो गया। इसके आदेश पर स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए थे। इन प्रश्नों से घटना के दिन अस्पताल प्रशासन और पुलिस की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। इसके बावजूद कई अधिकारियों पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है।

डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि जांच प्रक्रिया में कई ऐसे नाम सामने आए हैं, जिनमें कथित रूप से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त डॉक्टर और आम लोग शामिल हैं। इन लोगों को पश्चिम बंगाल के सभी मेडिकल कॉलेजों में बिना किसी प्रतिबंध के प्रवेश प्राप्त करने का अधिकार है। इन पर मेडिकल परीक्षाओं में कदाचार के आरोप भी है।

ये पांच मांगें उठाईं

1. यह मामला अब राज्य सरकार के पास नहीं है। हम सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हैं कि अपराधियों को बिना किसी देरी के दंडित किया जाए।

2. पश्चिम बंगाल के डीएचएस और स्वास्थ्य सचिव को हटाया जाए। अपराध स्थल के आसपास निर्माण कार्य कराए जाने के आदेश पर उनके हस्ताक्षर हैं।

3. प्रशासनिक अक्षमता और सुबूत नष्ट करने के लिए कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटाया जाए। रुपयों की पेशकश के लिए डीसीपी नार्थ और एक संदिग्ध की पहचान छिपाने के लिए डीसीपी सेंट्रल के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

4. डॉक्टरों व नर्सों की सुरक्षा के लिए बुनियादी सुविधाएं, पर्याप्त सुरक्षा कर्मी, सीसीटीवी, अलग ड्यूटी रूम, पैनिक बटन लगाए जाएं। आंतरिक शिकायत कमेटी बनाई जानी चाहिए।

5. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में प्रचलित धमकी कल्चर को समाप्त किया जाए। मेडिकल कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव आयोजित कराएं।

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पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी

कोलकाता, एजेंसी।

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार को भी जारी रही। उन्होंने कहा कि वे दुष्कर्म और हत्या की घटना की पीड़िता को न्याय दिलाने के अपने संकल्प पर कायम रहेंगे। स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन के बाहर चिकित्सकों का धरना प्रदर्शन आठवें दिन और उनकी हड़ताल 36वें दिन भी जारी रही। उन्होंने कोलकाता पुलिस आयुक्त को हटाने और राज्य के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों से मुलाकात करने की अपनी मांगों को पूरा किए जाने तक प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया है।

शिक्षकों ने निकाली रैली

डॉक्टर से दरिंदगी मामले में सोमवार को सैकड़ों शिक्षकों ने कोलकाता में रैली निकालकर न्याय सुनिश्चित करने की मांग की। शिक्षकों ने कॉलेज स्क्वायर से श्यामबाजार तक मार्च निकाला और घटना में शामिल सभी दोषियों की गिरफ्तारी और त्वरित सुनवाई की मांग की। रैली में शामिल शिक्षक अंशुमान नाग ने कहा, वह (पीड़िता) हमारी बेटी की तरह है। हम सख्त सजा की मांग करते हैं, सबूत छिपाने के प्रयासों की निंदा करते हैं और इस बात से स्तब्ध हैं कि जांच एजेंसियां ​​अभी तक इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार सभी लोगों की पहचान नहीं कर पाई हैं।

मंत्री ने हड़ताल को नाटक बताया

पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी ने सोमवार को जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को नाटक करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हड़ताल राज्य में तृणमूल सरकार को बदनाम करने के इरादे से किया जा रहा एक ‘राजनीतिक कार्यक्रम है। उन्होंने कहा, कुछ जूनियर डॉक्टर लाइव-स्ट्रीमिंग की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है। फिर भी, वे अपने कर्तव्यों का पालन किए बिना सरकार से वेतन ले रहे हैं। जब उन्हें पदोन्नति की आवश्यकता होती है तो वे सरकार पर भरोसा करते हैं लेकिन जब बातचीत की बात आती है तो बेतुकी बातें करते हैं।

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