केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी की जातियां भी दिल्ली सरकार और नगर निगम की नौकरी में आरक्षण पाने का हकदार
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि केंद्रीय सूची में शामिल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जातियां दिल्ली सरकार और नगर निगमों में आरक्षण पाने का हकदार हैं। अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में...
नई दिल्ली। प्रभात कुमार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि केंद्रीय सूची में शामिल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जातियां भी दिल्ली सरकार और नगर निगमों में होने वाली नियुक्तियों में आरक्षण पाने का हकदार है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले मेह हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें नगर निगम के स्कूलों में विशेष शिक्षकों के पद पर नियुक्ति में आरक्षण पाने के लिए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र को सही बताया था।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के चुनौती देने वाली दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) की अपील को खारिज कर दिया। हाल ही में पारित फैसले में पीठ ने कहा है कि ‘हम उच्च न्यायालय द्वारा जनवरी 2024 में पारित फैसले व आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है, लिहाजा इस अपील को खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीएसएसएसबी की अपील खारिज किए जाने के बाद, दिल्ली सरकार या स्थानीय नियकायों में होने वाली नौकरियों में केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी जातियां भी आरक्षण पाने का हकदार होगी।
सुप्रीम कोर्ट में पेश मामले के अनुसार, डीएसएसएसबी ने मार्च 2021 में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में विशेष शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा था। इस भर्ती में तान्या अंसारी ने भी ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था क्योंकि केंद्र सरकार ने अगस्त 2011 में अंसारी जाति को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया था। जनवरी, 2022 में डीएसएसएसबी ने कंप्यूटर आधारित परीक्षा का परिणाम जारी किया और सभी सफल उम्मीदवारों को अपने दस्तावेज (ई-डोजियर) वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया। भर्ती परीक्षा में सफल होने वाली तान्या अंसारी ने भी अपना दस्तावेज अपलोड किया और आरक्षण का लाभ पाने के लिए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र भी अपलोड किया। लेकिन डीएसएसएसबी ने अंसारी द्वारा अपलोड किए गए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र को दिल्ली नगर निगम में नौकरियों के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि दिल्ली सरकार ने भी 1995 में ही अधिसूचना जारी कर अंसारी जाति को ओबीसी की श्रेणी में शामिल किया था। हालांकि बाद में तान्या अंसारी ने दिल्ली सरकार से भी ओबीसी का प्रमाण पत्र बनवाकर जमा करवाया, लेकिन डीएसएसएसबी ने इसे यह कहते हुए मंजूर करने से इनकार कर दिया कि यह कटआफ तारीख के बाद का बना है। साथ ही, ओबीसी श्रेणी में उसकी उम्मीदवारी को भी रद्द कर दिया। डीएसएसएसबी के इस फैसले के खिलाफ तान्या अंसारी ने अधिवक्ता अनुज अग्रवाल के जरिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी। अगस्त 2023 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने अंसारी के हक में फैसला देते हुए कहा कि केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी की जातियां भी दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों में होने वाली नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ पाने का हकदार है। साथ ही, डीएसएसएसबी याचिकाकर्ता अंसारी को ओबीसी उम्मीदवार के रूप में मानने और इसी श्रेणी में एमसीडी के स्कूलों में विशेष शिक्षक (प्राथमिक) नियुक्त करने का निर्देश दिया था। इस फैसले के खिलाफ डीएसएसएसबी ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की। उच्च न्यायालय ने जनवरी, 2024 में डीएसएसएसबी की अपील को खारिज कर दिया। इस फैसले के खिलाफ डीएसएसएसबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
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