उत्तर प्रदेश में ई-नीलामी रद्द करने का फैसला बरकरार : कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के रेत खनन के लिए ई-नीलामी नोटिस को रद्द करने के एनजीटी के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि ऐसे अनियमित गतिविधियों से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में बाधा उत्पन्न...

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रेत खनन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ई-नीलामी नोटिस रद्द करने के एनजीटी के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि इस तरह की अनियमित गतिविधियों को ‘कतई बर्दाश्त नहीं करना चाहिए क्योंकि यह 'नदी के पारिस्थितिकी तंत्र' में व्यवधान उत्पन्न करती है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि रेत खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी देने से पहले जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार करना अनिवार्य है। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रेत खनन के लिए 13 फरवरी, 2023 को जारी ई-नीलामी नोटिस रद्द करने के एनजीटी के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और अन्य की अपीलों को खारिज कर दिया।
पीठ ने किसी भी रेत खनन गतिविधि शुरू करने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में वैध और मौजूदा डीएसआर की जरूरत को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने 34 पृष्ठ के फैसले में कहा कि हम रेत खनन नियंत्रित करने वाले कानून और नियमों को स्पष्ट रूप से कायम रखते हैं और अनधिकृत गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर जोर देते हैं, इन नियमों का सख्ती से पालन करने के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
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