Supreme Court Rejects Petition to Send Rohingya Refugees Back to Myanmar ‘रोहिंग्याओं को आंडमान सागर में फेंकने के आरोपों पर फटकार, Delhi Hindi News - Hindustan
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‘रोहिंग्याओं को आंडमान सागर में फेंकने के आरोपों पर फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि उनके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 16 May 2025 09:56 PM
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‘रोहिंग्याओं को आंडमान सागर में फेंकने के आरोपों पर फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर कड़ी नाराजगी जताई, जिसमें दावा किया गया था कि महिलाओं और बच्चों सहित 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के लिए अंडमान सागर/युद्ध क्षेत्र में फेंक दिया गया। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि जब देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है, तो आप काल्पनिक विचार लेकर आते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने इसके साथ ही आगे भी रोहिंग्याओं को निर्वासित करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ता मोहम्मद इस्माइल और अन्य द्वारा दाखिल याचिका के साथ साक्ष्य के तौर पर पेश सामग्री की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाया।

पीठ ने कहा कि अदालत ने पहले भी इसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि जब देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है, तो आप इस तरह के काल्पनिक विचार लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री सोशल मीडिया से ली गई प्रतीत होती है। जस्टिस सूर्यकांत ने रोहिंग्याओं को समुद्र में फेंककर यातना देने और निर्वासित करने के आरोप सिर्फ आरोप मात्र है और इसमें सच्चाई की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि आरोपों को पुष्ट करने वाली सामग्री कहां है? साथ ही कहा कि निर्वासित लोगों और दिल्ली स्थित याचिकाकर्ता के बीच कथित फोन कॉल की रिकॉर्डिंग सत्यापित नहीं की गई है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या किसी ने इन फोन कॉल की पुष्टि की है कि वे म्यांमार से आए थे? इससे पहले, हमने एक मामले की सुनवाई की थी जिसमें झारखंड के जामताड़ा से अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के फोन नंबरों से कॉल किए गए थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से गोंजाल्विस ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उसने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया है और मामले की जांच शुरू की है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि बाहर बैठे लोग हमारे अधिकारियों और संप्रभुता को निर्देशित नहीं कर सकते। हालांकि, शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोंजाल्विस से कहा कि वे याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय को सौंप दें ताकि इसे सरकार में संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को तीन जजों के पीठ के समक्ष होगी।

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