अगस्त में खुदरा महंगाई 3.5 फीसदी से नीचे रहेगी
शोल्डर ---- लगातार दूसरे माह चार फीसदी से नीचे रह सकती है प्रमुख मुद्रास्फीति
नई दिल्ली। खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी का असर अगस्त के लिए जारी होने वाले खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी दिख सकता है। मिंट के सर्वे में 27 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया है कि अगस्त में देश की खुदरा मुद्रास्फीति 3.5 प्रतिशत पर स्थिर या इससे नीचे रह सकती है। जुलाई में यह 3.54 प्रतिशत पर थी, जबकि अगस्त 2023 में मुद्रास्फीति 6.8% थी। सर्वे में शामिल सभी अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि खुदरा महंगाई 3.2% से 4.0% के बीच रह सकती है। इसका औसत 3.5 फीसदी बनता है। आधिकारिक आंकड़ा 12 सितंबर को जारी किया जाएगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि मुद्रास्फीति 3.5% पर आती है तो जुलाई-अगस्त का औसत आरबीआई के जुलाई-सितंबर तिमाही के 4.4 फीसदी के अनुमान से काफी कम होगा। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
खाद्य महंगाई में नरमी संभव
खुदरा मुद्रास्फीति की गणना में खाद्य महंगाई का भार 40 फीसदी है। यह लंबे समय से ऊंची बनी हुई है। हालांकि, कीमतों में नरमी और अनुकूल आधार प्रभाव का मिश्रण इसे नीचे ला रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कीमतों में गिरावट से अनाज, दालों और चीनी पर मूल्य दबाव आंशिक रूप से कम हुआ है। इससे खाद्य महंगाई में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में 5.42 प्रतिशत रही। यह जून में 9.36 प्रतिशत थी।
मौसम का भी दिखेगा असर
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में भारत के आर्थिक अनुसंधान प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति आकलन करने के लिए सितंबर की बारिश पर ध्यान केंद्रित रहेगा। प्रमुख फसलों की बुआई अच्छी रही है। मौसम विज्ञान विभाग ने सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया है। इससे खड़ी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मासिक किस्त कम होने की उम्मीद बढ़ेगी।
रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रस्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। पांच साल में पहला मौका था, जब खुदरा महंगाई दर जुलाई के दौरान आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आई। अगर अगस्त में भी यह चार फीसदी से नीचे रहती है तो आरबीआई प्रमुख ब्याज दर (रेपो दर) में कटौती पर फैसला ले सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई दिसंबर 2024 से रेपो दर में कटौती की शुरुआत कर सकता है।
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