केरल में मानसून का जल्दी आना देशभर में तेजी से फैलने की गारंटी नहीं
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने केरल में इस वर्ष मानसून की शुरुआत 24 मई को होने की पुष्टि की है, जो कि सामान्य तिथि से आठ दिन पहले है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरे देश में मानसून के तेजी से...

नई दिल्ली, अभिषेक झा। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पुष्टि की है कि केरल में इस वर्ष मानसून की शुरुआत हो चुकी है। यह आमतौर पर निर्धारित 1 जून की तारीख से आठ दिन पहले, 24 मई को पहुंचा है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार केरल में मानसून का समय से पहले आना यह सुनिश्चित नहीं करता कि वह पूरे देश में भी उतनी ही तेजी से फैलेगा। विशेषज्ञों ने कहा, उदाहरण देकर समझाएं तो पिछले साल 30 मई को मानसून केरल पहुंचा, जो सामान्य से दो दिन पहले था। पर इसके बाद अरब सागर वाली शाखा तेजी से आगे बढ़ी, जबकि बंगाल की खाड़ी वाली शाखा पीछे रह गई।
नतीजतन गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भीषण लू पड़ी। इसलिए केरल में मानसून का जल्दी आना पूरे देश में मानसून के तेजी से फैलने की गारंटी नहीं देता। 1. 22 बार पहले, 27 बार देर से मौसम विभाग के 2006 में तय किए गए मानकों के अनुसार, केरल में मानसून की घोषणा तभी होती है जब दो दिन तक तटीय केरल में बारिश में तेज बढ़ोतरी हो। साथ ही 600 मिलीबार (लगभग 4-4.5 किलोमीटर ऊंचाई) तक पश्चिमी हवाएं चलें। पूर्व वैज्ञानिकों डीएस पाई और राजीवन एम नायर के अनुसार, 1971 से 2024 के बीच 22 बार मानसून समय से पहले आया है, जबकि 27 बार देर से। 24 मई को आया मानसून पिछले 55 वर्षों में पांचवां सबसे जल्दी आया मानसून है। सबसे जल्दी 18 मई 1990 को आया था। ग्राफ : केरल में मानसून की शुरुआत की तिथियां (1971 से 2024 तक की शुरुआत तिथि के अनुसार वर्षों की संख्या) स्रोत : ग्रीष्मकालीन मानसून की केरल में शुरुआत: नई परिभाषा और पूर्वानुमान (डी.एस. पाई और राजीवन एम. नायर) : मौसम विभाग की प्रेस विज्ञप्ति 2. कुल बारिश से सीधा संबंध नहीं केरल में मानसून की शुरुआत से यह संकेत मिलता है कि मानसून का वृहद वायुमंडलीय ढांचा सक्रिय हो गया है, लेकिन इससे पूरे जून-सितंबर सीजन की बारिश का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। मौसम विभाग के डाटा के अनुसार, केरल में मानसून की तारीख और कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। 3. जल्दी मानसून से बारिश बेहतर जिन 27 वर्षों में मानसून देर से आया, उनमें 78% बार केरल और माहे उपमंडल में जून में वर्षा में कमी दर्ज की गई और 67% बार जून-सितंबर के दौरान कुल बारिश में भी कमी रही। जबकि जिन 22 वर्षों में मानसून जल्दी आया, उन वर्षों में यह कमी घटकर 59% रह गई। यानी जल्दी आए मानसून में बारिश में कमी की संभावना थोड़ी कम होती है, लेकिन बारिश ज्यादा होगी, इसकी गारंटी नहीं।
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