लालू यादव ने बेटे तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निकाला
तेज प्रताप यादव को उनके सार्वजनिक आचरण और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण लाला यादव ने पार्टी और परिवार से निष्कासित कर दिया है। इस निर्णय से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है, खासकर जब तेजस्वी यादव...

तेज प्रताप यादव की एक पोस्ट उन पर ही नहीं, बिहार की राजनीति पर भी भारी पड़ी है.लालू यादव ने अपने बेटे को परिवार और पार्टी से निकाल दिया है.आरजेडी अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रविवार को अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया.इस फैसले से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है, खासकर तब जब राज्य में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव पार्टी का चेहरा बने हुए हैं.क्यों निकाला गया तेज प्रताप को?लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में तेज प्रताप के सार्वजनिक आचरण और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को पार्टी की विचारधारा और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ बताया.उन्होंने लिखा, "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है. ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है.अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं.अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी.उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है"तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट सामने आई, जिसमें वह एक महिला के साथ नजर आ रहे थे.कैप्शन में लिखा गया था कि वह पिछले 12 वर्षों से उनके साथ रिश्ते में हैं. हालांकि, यह पोस्ट कुछ समय बाद डिलीट कर दी गई.इसके बाद तेज प्रताप ने भी एक्स पर सफाई देते हुए कहा, "मेरे सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर लिए गए हैं और मेरी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर मुझे और मेरे परिवार को बदनाम किया जा रहा है.मैं अपने शुभचिंतकों और समर्थकों से अपील करता हूं कि अफवाहों पर ध्यान न दें"चुनावी राजनीति पर असरतेजस्वी यादव पहले से ही पार्टी के नेता के तौर पर स्थापित हैं और 2025 के विधानसभा चुनावों में राजद का चेहरा भी वही हैं.लेकिन तेज प्रताप की इस तरह की सार्वजनिक विवादों में लगातार उपस्थिति पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा करती रही है.लालू यादव के इस सख्त कदम को राजद में अनुशासन स्थापित करने और तेजस्वी के नेतृत्व को मजबूती देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.लालू ने अपनी पोस्ट में यह भी जोड़ा, "अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है. उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें.लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूं.परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है.धन्यवाद"तेज प्रताप यादव को बाहर निकालने का यह कदम न सिर्फ परिवार के अंदरूनी मतभेदों को उजागर करता है, बल्कि बिहार की राजनीति में राजद की दिशा और नेतृत्व को लेकर भी स्पष्टता लाता है.बिहार में वंशवाद को लेकर पहले भी सवाल उठ रहे हैं और बीजेपी इसका फायदा उठा सकती है.