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फ़ैक्टरी नहीं मौत का कारख़ाना

नई दिल्ली। गौरव त्यागी

हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीSun, 21 Jan 2018 06:05 PM
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नई दिल्ली। गौरव त्यागी

बवाना स्थित अवैध पटाखा फैक्टरी में शनिवार रात लगी आग से बचने के लिए मजदूरों के पास कोई रास्ता नहीं था। फैक्टरी को बनाते समय सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं करने के चलते यह मौत के कारखाने में तब्दील हो गई। आग लगने के बाद कोई आपातकालीन रास्ता नहीं होने से 17 लोगों की मौत हो गई। मुख्य द्वार पर आग लगने के बाद फैक्टरी से बच निकलने का किसी को कोई रास्ता नहीं मिला।

सौ वर्ग मीटर के प्लॉट पर बनी है

यह फैक्टरी सौ वर्ग मीटर के प्लॉट पर बनी है। बेसमेंट समेत चार मंजिल हैं। अंदर बड़े-बड़े हॉल बनाए गए हैं। इमारत में प्रवेश करने के लिए लोहे के शटर वाले दरवाजे से जाना पड़ता है। दाई तरफ बेसमेंट और ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां हैं। जीने का रास्ता अंदर से ही है। जीने में दो जगह स्थायी जाली लगी है। बाहर की तरफ कोई बड़ी खिड़की नहीं लगाई गई। बेसमेंट और ऊपर की मंजिलों पर भी हॉल बनाया गया है।

पांच प्रमुख वजहें

1. मुख्य दरवाजे के बाद शटर लगा था

फैक्टरी में लोहे के मुख्य दरवाजे के बाद बड़ा शटर लगाया हुआ था। प्रवेश और निकास इसी शटर से होता था। आरोप है कि वारदात के समय शटर बंद था।

2. आपातकालीन दरवाजा नहीं

फैक्टरी को बिल्कुल किले की तरह बनाया गया था। इसमे कोई आपातकालीन दरवाजा नहीं बनाया गया। एकल प्रवेश मार्ग होने से हादसा हुआ।

3. खिड़की पर लोहे के सरिए लगे थे

फैक्टरी में जीने के रास्ते पर लोहे के सरिए लगी खिड़की हैं। दो शौचालय में छोटे रोशनदान और एक बड़ा रोशनदान बीच में लगा था। यह भी लोहे के सरिए से बंद थे। वारदात के समय पीड़ितों को ऊपर से कूदने का मौका भी नहीं मिला।

4. फायर सुरक्षा के इंतजाम नहीं

इमारत को बनाने में फायर के मानकों का उल्लंघन किया गया। बिल्डिंग के अंदर भी आग बुझाने के उपकरण नहीं थे। हादसे के समय पीड़ितों को आग से बचने का मौका नहीं मिला।

5. कोई मौका नहीं था

इमारत दो तरफ से घिरी है। एक तरफ खाली प्लॉट है, लेकिन इधर से कूदने का कोई रास्ता नहीं था। सड़क की तरफ रोशनदान में स्थायी जाली थी।

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