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आपकी हिम्मत कैसे हुई; मकबरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने DCWA को लगाई फटकार, ASI को भी लपेटा

सीबीआई द्वारा दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रेसिडेंट एसोसिएशन को लताड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मा

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 12 Nov 2024 06:41 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी में शेख अली की गुमती पर अवैध कब्जा करने को लेकर डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA) को कड़ी फटकार लगाई है। इसी के साथ एसोसिएशन को कब्जा करने से रोकने में विफल रहने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भी आड़े हाथों लिया है। सीबीआई द्वारा दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रेसिडेंट एसोसिएशन को लताड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ कर रही थी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस धुलिया ने एसोसिएशन से कहा, आपकी मकबरे में घुसने की हिम्मत कैसे हुई। इस पर DCWA ने कहा कि हम दशकों से वहां थे। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, यह कैसी दलील है। वहीं जस्टिस अमानतुल्ला ने कहा, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। अगर जरूरत पड़ी पर हम आपको खुली अदालत में बेदखल कर देंगे। डीसीडब्ल्यूए ने जब कहा कि हम नहीं होंगे तो असामाजिक तत्व आएंगे तो इससे जज और नाराज हो गए। पीठ ने कहा, आप उन औपनिवेशिक शासकों की तरह बोल रहे हैं जिन्हें आप जानते हैं। जैसे 'अगर हम भारत नहीं आते, तो क्या होता।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को भी अवैध कब्जे की इजाजत देने के लिए फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने कब्जे से मकबरे में हुए नुकसान की जांच के लिए एक और इसे ठीक करने के उपाय सुझाने के लिए एक एक्सपर्ट नियुक्त किया। बता दें, सुप्रीम कोर्ट डिफेंस कॉलोनी मार्केट के बगल में स्थित मकबरे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। स्मारकों और पुरावशेषों पर राष्ट्रीय मिशन के अनुसार, गुमटी 500 साल से भी पहले लोदी काल के दौरान बनाई गई थी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले मकबरे को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिसके बाद साल 2019 में कोर्ट ने नोटिस जारी किया और इस साल मार्च में यथास्थिति आदेश पारित किया था। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि दिल्ली का नागरिक निकाय (Civic Body) मकबरे के आसपास की खुली जमीन पर बहु-स्तरीय कार पार्किंग और शॉपिंग प्लाजा बनाने की कोशिश कर रहा है।

वहीं इस साल अप्रैल में एएसआई और केंद्र सरकार के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि मकबरा कभी भी डीसीडब्ल्यूए को आवंटित नहीं किया गया था।

जब अगस्त में मामले की सुनवाई हुई, तो सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था कि गुमटी पर डीसीडब्ल्यूए का कब्जा कैसे हुआ।

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