SC का फर्जी सेटअप, नकली जज के सामने पेशी; डिजिटल अरेस्ट में 3 गिरफ्तार, चीन से जुड़े तार
दिल्ली की साइबर थाना पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट लोगों को ठगने वाले तीन शातिर जालसाजों को गिरफ्तार किया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों ने ठगी के लिए सुप्रीम कोर्ट का फर्जी सेटअप भी बनाया हुआ था और पीड़ितों को फर्जी जज के सामने ही ऑनलाइन पेश किया जाता था।

दिल्ली के दक्षिण-पश्चिमी जिले की साइबर थाना पुलिस ने तीन शातिर जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपी डिजिटल अरेस्ट लोगों के साथ ठगी करते थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों ने ठगी के लिए सुप्रीम कोर्ट का फर्जी सेटअप भी बनाया हुआ था और पीड़ितों को फर्जी जज के सामने ही ऑनलाइन पेश किया जाता था।
चीन में बैठे ठगों को खाते मुहैया कराते थे : पुलिस जांच में आरोपियों का विदेशी गैंग चलाने वाले चीनी जालसाजों के साथ सीधा संबंध पाया गया है। आरोपी फर्जी कंपनी के जरिये चीन में बैठे ठगों को चालू बैंक खाते उपलब्ध करते थे। आरोपियों में थुंगा राजकुमार, पुष्कर चंद्रकांत पखले और कपिल रामभाऊ पाटिल शामिल हैं। पुष्कर चंद्रकांत पखले ने एक बड़े संस्थान से एमबीए की डिग्री ली है, जबकि कपिल ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है। आरोपियों के खिलाफ गृह मंत्रालय के पोर्टल पर 28 शिकायतें दर्ज हैं।
मुंबई में मामला दर्ज होने की बात कही : डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि भारत सरकार से रिटायर्ड अधिकारी बलिराम ने एक शिकायत गृह मंत्रालय के पोर्टल पर दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि 2 मार्च को 11:30 बजे उन्हें वॉट्सऐप कॉल आया था। कॉलर ने अपना नाम दीपक शर्मा बताते हुए कहा कि वह ट्राई में कार्यरत है। दीपक ने कहा कि आपके खिलाफ मुंबई के कोलाबा थाने में पीएमएलए 2002 के तहत एक केस दर्ज किया गया है। पुलिस जल्द ही उनसे सम्पर्क करेगी। इसके बाद 11:51 बजे पीड़ित के पास फर्जी कोलाबा पुलिस स्टेशन से एक फोन कॉल आया। कॉलर ने खुद को सब-इंस्पेक्टर बताया। आरोपी ने वॉट्सऐप वीडियो कॉल के जरिये पीड़ित को डराया और बैंक और परिवार संबंधित सभी जानकारी ले ली।
तीन दिन तक किया डिजिटल अरेस्ट : आरोपियों ने पूछताछ के नाम पर बुजुर्ग को तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट किया। आरोपियों ने उन्हें डराया कि उनके बैंक खातों का मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया गया है। आरोपियों ने वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल के जरिये पीड़ित को कोर्ट में पेश किया। इसके लिए आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का एक फर्जी सेट तैयार किया हुआ था। आरोपियों के साथ एक महिला भी मौजूद थी। आरोपियों ने पीड़ित को विश्वास में लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट, नोटरी, सीबीआई आदि की मुहर का इस्तेमाल किया। साथ ही, एक सीबीआई अधिकारी नरेश गोयल (जालसाज) को उनके घर के बाहर तैनात करने की बात कही। पूछताछ में सीबीआई प्रमुख विकास गुप्ता बनाकर एक शख्स को शामिल किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए और कोर्ट की अवहेलना करने पर उन्हें और परिवार समेत जान से मारने की धमकी भी दी गई।
पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का जज बनाकर एक शख्स को बैठाया हुआ था। उन्होंने अपने पीपीएफ की सारी रकम निकाली। अपनी एफडी तोड़कर पूरी रकम आरोपियों के खाते में ट्रांसफर कर दी। पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।
ऐसे पकड़े गए आरोपी
जांच के दौरान चता चला कि वारदात में सभी नंबर हांगकांग से इस्तेमाल किए जा रहे थे। पुलिस ने ठगी की रकम जिन बैंकों में गई थी, उनकी जानकारी जुटाकर मनी ट्रेल्स का पता किया। दो बार राशि एलएन टेक्नोलॉजीज (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड के खाते में भेजी गई थी। जांच में पता चला कि इस कंपनी के कई बैंक खातों में करोड़ों रुपये थे। गृह मंत्रालय के पोर्टल पर दर्ज 8 शिकायतों में इन्हीं बैंक खातों का जिक्र आया है। इंस्पेक्टर विकास कुमार की टीम हैदराबाद, तेलंगाना पहुंची और थुंगा राजकुमार, कपिल रामभाऊ पाटिल और पुष्कर चंद्रकांत पाखले को गिरफ्तार किया।