भूकंप के लिहाज से कितनी संवेदनशील है दिल्ली? राजधानी में आने वाले जलजले को इस तरह समझें
Delhi Earthquake: दिल्ली में सोमवार तड़के 536 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र धौला कुआं में झील पार्क क्षेत्र के पास धरती की सतह से लगभग पांच किलोमीटर नीचे था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता चार आंकी गई है।

Delhi Earthquake: दिल्ली में सोमवार तड़के 536 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र धौला कुआं में झील पार्क क्षेत्र के पास धरती की सतह से लगभग पांच किलोमीटर नीचे था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता चार आंकी गई है। भूकंप के कारण जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। कुछ सेकंड तक लगे इन झटकों से लोगों की नींद खुली और वे घबराहट में घर से बाहर निकल आए। लोगों ने घरों के सामान हिलने और तेज आवाजें भी सुनीं। अब राजधानी में आने वाले जलजले से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जान लीजिए
● भूकंप के लिहाज से राजधानी दिल्ली कितनी संवेदनशील है?
दिल्ली को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन चार की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए यहां पर भूकंप आने की संभावना हमेशा ही बनी रहती है।
● दिल्ली में आने वाले भूकंप के लिए कौन सी भूगर्भीय हलचलें जिम्मेदार होती हैं?
दिल्ली में मुख्य तौर पर चार फाल्ट लाइन मौजूद हैं। सोहना और मथुरा फाल्ट, जो कि सोमवार को आए भूकंप के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा महेंद्रगढ़-देहरादून फाल्ट और दिल्ली-हरिद्वार फाल्ट में होने वाली भूगर्भीय हलचलें भी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आने वाले भूकंपों के लिए जिम्मेदार हैं।
● भूकंप के लिए जिम्मेदार फाल्ट लाइन क्या होती है?
धरती के अंदर मौजूद दो चट्टानों के बीच की दरार को फाल्ट लाइन कह सकते हैं। यह फाल्ट लाइन कुछ मिलीमीटर से हजारों किलोमीटर लंबी हो सकती है। इन फाल्ट लाइन पर चट्टानों के टकराने से तनाव जमा हो जाता है। इस तनाव के चलते तेज गति से होने वाली हलचल के चलते भूकंप आते हैं। फाल्ट लाइन पर चट्टानें खिसककर पुनर्व्यवस्थित हो जाती हैं और इसमें जमा तनाव या ऊर्जा बाहर निकल जाती है।
● भूकंप से होने वाली जान-माल की क्षति को कैसे कम किया जा सकता है?
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है और यह सदियों से आते रहे हैं। वास्तव में देखा जाए तो खुद भूकंप से नुकसान नहीं होता है, बल्कि नुकसान इमारतों के गिरने और उसमें लोगों के दबने आदि से होता है।
विशेषज्ञ बोले- कंपन के बाद 48 घंटे संवेदनशील
विशेषज्ञों ने कहा कि फिलहाल भूकंपों का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता है। आमतौर पर माना जाता है कि छोटे-छोटे भूकंप अच्छे होते हैं, क्योंकि इससे भूगर्भीय हलचलों से पैदा होने वाली ऊर्जा बाहर निकल जाती है। हालांकि, छोटे भूकंप आने वाले किसी बड़े भूकंप का भी संकेत होते सकते हैं। वहीं, किसी बड़े भूकंप के बाद भी छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं, जिन्हें आफ्टर शॉक कहते हैं। इनसे भी भूगर्भीय हलचलों से पैदा होने वाली ऊर्जा बाहर आ जाती है। इसलिए किसी भी भूकंप के बाद आसपास की भूगर्भीय हलचलों पर नजर रखी जाती है, ताकि बारीकी से उसका विश्लेषण किया जा सके। भूकंप के बाद 48 घंटे संवेदनशील माने जाते हैं।